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“मैं…नरेंद्र दामोदर दास मोदी…” आज ही के दिन साल 2014 में नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन से ये शब्द पूरे देश ने सुने थे। मौका था नई-नवेली सरकार के शपथ ग्रहण समारोह का। समारोह में देश-विदेश के करीब 4 हजार चुनिंदा लोग मौजूद थे। उस वक्त के राष्ट्रपति रहे प्रणब मुखर्जी ने स्टेज पर सबसे पहले नरेंद्र मोदी को शपथ के लिए बुलाया। मोदी ने शपथ ली और इसी के साथ देश को आज ही के दिन अपना 15वां प्रधानमंत्री मिला।
2014 का आम चुनाव इसलिए खास था, क्योंकि 30 साल बाद किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला था। राष्ट्रवाद की लहर पर सवार होकर आई भाजपा ने 282 सीटें जीती थीं। जबकि, कांग्रेस 44 सीटों पर ही सिमट गई थी। 1984 के आम चुनावों में कांग्रेस ने 414 सीटें जीती थीं। उसके बाद किसी एक पार्टी द्वारा जीती गईं ये सबसे ज्यादा सीटें थीं। पिछले चुनावों के मुकाबले कांग्रेस को 162 सीटों का नुकसान तो भाजपा को 166 सीटों का फायदा हुआ था।
2004 में इंडिया शाइनिंग की चमक को दूर करते हुए केंद्र में UPA की सरकार बनी थी। एक चौंकाने वाले फैसले के बाद मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने थे। अगले चुनावों में भी सत्ता UPA के पास रही और प्रधानमंत्री की कुर्सी मनमोहन सिंह के पास, लेकिन इस बार मनमोहन सिंह के लिए चुनौतियां ज्यादा थीं। भ्रष्टाचार, महंगाई और कालेधन पर विपक्ष सरकार को लगातार घेर रहा था। निर्भया कांड के बाद लोगों में भी गुस्सा था। अन्ना हजारे लोकपाल के लिए आंदोलन कर रहे थे। सरकार के खिलाफ आए दिन लोग सड़कों पर उतर रहे थे।
एक तरफ कांग्रेस के लिए चुनौतियां बढ़ रही थीं, वहीं दूसरी तरफ BJP अपनी तैयारी में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ रही थी। 2013 में देश के 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए। 2014 लोकसभा चुनाव का ये सेमीफाइनल था। इनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे बड़े राज्यों में BJP या तो जीती या सत्ता बचाने में कामयाब रही।
इसके बाद एक तरफ कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, वहीं दूसरी तरफ BJP का आत्मविश्वास। BJP ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगा दी थी। उस समय मोदी लगातार तीसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल चला रहे थे। गुजरात 2 वजहों से लोगों की जुबान पर था- पहला, 2002 दंगा और दूसरा, गुजरात मॉडल। इन दोनों वजहों से नरेंद्र मोदी डेवलपमेंट और बहुसंख्यक आबादी के मसीहा के तौर पर प्रोजेक्ट किए गए। 7 अप्रैल से 12 मई के दौरान 9 चरणों में चुनाव हुए। विकास और ध्रुवीकरण की ऐसी आंधी चली कि कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल का दर्जा मिलने लायक सीटें भी नहीं मिलीं। कांग्रेस के 178 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
1984 के आम चुनाव में कांग्रेस ने 404 सीटें जीतीं थीं, उसमें BJP को 2 सीटें मिली थीं। केवल 30 सालों में ही पार्टी ने 2 सीटों से 282 सीटों का सफर तय किया। 2019 में ये आंकड़ा और ज्यादा बढ़कर 303 सीटों पर पहुंच गया और नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने।
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