एवीबीपी पर लगे आरोप, पुलिस रही मूकदर्शक
लखनऊ : उत्तर-प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दलित प्रोफेसर डॉ रविकांत से परिसर में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा हाथापाई, गाली-गलौच एवं जान से मारने का प्रयास का आरोप का मामला प्रकाश में आया है,इस मामले को लेकर सामाजिक चिंतकों में काफी आक्रोश है और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग उठने लगी है ।
लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर कार्यरत डॉ रविकांत ने थाना प्रभारी हसनगंज -लखनऊ को एक पत्र लिखकर आरोपियों पर एफआईआर दर्ज करके कार्यवाही की मांग की गई है।
डॉ रविकांत ने बताया कि एक यूट्यूब चैनल द्वारा आयोजित बहस में मेरे द्वारा हिस्सा लिया गया था,इस बौद्धिक बहस में इतिहासकार पट्टाभि सितारमैया की किताब में उल्लेखित जो बात मेरे द्वारा कोट की गई थी,उसे एबीवीपी संगठन के छात्रों और अन्य अराजक तत्वों ने सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़कर प्रसारित करते हुए मेरे विरुद्ध दुष्प्रचार किया ।
डॉ रविकांत ने बताया कि दिनांक 10 मई को इन लोगों ने मुझे विश्वविद्यालय के कैम्पस में ही घेर लिया और जान से मारने का प्रयास किया,इसके साथ ही मेरे साथ अपशब्दों का प्रयोग किया व ‘ देश के गद्दारों को,गोली मारो सालों को’ जैसे नारे लगाते हुए मुझे जातिसूचक गालियां दिया।
पुलिस रही मूकदर्शक:
योगी सरकार अपराधमुक्त प्रदेश की भले दावे कर ले लेकिन उनके अपने ही सिस्टम अब कानून व्यवस्था को मुंह चिढ़ा रहे है, लखनऊ विश्वविद्यालय में पीड़ित डॉ रविकांत के साथ जिस समय घटना घटी, उस समय चंद कदम पर पुलिस भी मौजूद रही ,हैरानी की बात यह है कि इस बवाल पर भी पुलिस ने डॉ रविकांत की कोई मदद नही किया ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब समाज के रक्षक ही लोगों की रक्षा नही कर सकते तो किससे न्याय की गुहार लगाने जाएंगे ।
-अचूक संघर्ष-