आ जाता है हवा की तरह तैश,आपा खोते अखिलेश !

उत्तर प्रदेश

माने जाते हैंअच्छे नेता, मगर कई मौकों पर धैर्य खोकर खुद की छवि नकरात्मक बना लेते हैं

अमित मौर्या
यूपी की सियासत में वाद-संवाद में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है। जिसे लत्त तेरी की धत्त तेरे की कहा जा रहा है। इसकी बानगी तब देखने को मिली जब डिप्टी सीएम केशव मौर्या सपा अध्यक्ष/नेताप्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बीच व्यक्तिगत टिप्पणी होने लगी।

 


तमाम सवाल जवाब के बीच अखिलेश यादव ने डिप्टी सीएम केशव मौर्या को लक्ष्य करते हुए सवाल किया कि वह बतायें कि वह लोक भवन में कब बैठ पाएंगे। केशव मौर्या जवाब दिया-लोक भवन में तो कमल खिल चुका है। इस पर अखिलेश ने केशव से कहा कि आपके जिले की फोर लेन सड़क भी समाजवादी पार्टी की सरकार ने बनवाई थी। केशव बोले-जैसे आपने सैफई की जमीन बेचकर सड़क, एक्सप्रेस वे, मेट्रो बनवाई हो। केशव का यह अटपटा सा जवाब सुनकर नेताप्रतिपक्ष अखिलेश यादव का पारा चढ़ गया उन्होंने केशव को डांटने के अंदाज में कहा कि ‘तुम अपने पिताजी से पैसे लाते हो बनाने के लिए, तुमने राशन बांटा पिताजी से पैसे लेकर…भक्क,धत्त भक्क.इसके बाद विमर्श का रुख ही बदल जाता है। कुछ लोग इसे केशव मौर्या को सही जवाब दिया हुआ बताते हैं तो कुछ लोगों को अखिलेश का यह रुख नागवार लगता है और उन्हें घमंडी बताते हैं। मीडिया से लगायत सोशल मीडिया पर इसको लेकर चर्चा बढ़ जाती है,बात का बतंगड़ बनने लगा है। मगर देखा जाय तो यह पहला मौका नही था जब अखिलेश यादव सार्वजनिक तौर पर आपे से बाहर हो गयें हों।
कन्नौज में एक हादसे के बाद घायलों से मिलने जब अखिलेश यादव जब पहुँचे तब वहां मौजूद सरकारी डॉक्टर ने अखिलेश से मुआवजे के चेक को लेकर कुछ कहना चाहा तब अखिलेश यादव ने ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर डीएस मिश्रा से सख़्त लहजे में कहते हैं, ‘तुम मत बोलो तुम सरकारी आदमी हो। हम जानते हैं क्या होती है सरकार। इसलिए मत बोलो क्योंकि तुम सरकार के आदमी हो। तुम सरकार का पक्ष नहीं ले सकते,
तुम आरएसएस के हो सकते हो, भाजपा के हो सकते हो। तुम मुझे ये नहीं समझा सकते कि वे क्या कह रहे हैं। दूर हो जाओ, भाग जाओ, बाहर भाग जाओ।
वहीं बीते विधानसभा चुनाव में कन्नौज में जनसभा के समय उन्होंने ये पुलिसवालों…ये पुलिस…पुलिस्स..ऐ पुलिस… क्यों कर रहे यह तमाशा, तुमसे ज्यादा बदतमीज कोई नहीं हो सकता…क्यों ऐसा कर रहे हो। दरअसल जनसभा में, कुछ कार्यकर्ता बैरीकेड से आगे मंच की तरफ बढ़ने लगे, तभी पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोकने के लिए डंडा उठा लिया था। जिससे अखिलेश यादव भड़क उठे थें।
यही नही उन्होंने एक प्रेस वार्ता में एक पत्रकार के सवाल पर कहा तुम सीनियर नही तुम छोटे पत्रकार हो।जबकि यही छोटे पत्रकार छोटे मीडिया संस्थान पूरे चुनाव भर और हमेसा अन्य बड़े पत्रकारों संस्थानों से ज्यादा कवरेज देते आये हैं।
इसमें संसय नही की अखिलेश यादव कि गिनती हाजिरजवाब और नेकदिल नेताओं में से है। मगर सार्वजनिक तौर पर बार-बार गुस्सा तैश दिखाना उनके पार्टी और उनके लिये नुकसानदेह साबित होगा। क्योंकि सत्तापक्ष हो या फ्रंट लाइन मीडिया। सब अखिलेश के बात को बतंगड़ बनाने के लिये तैयार रहते हैं।

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