धीरे धीरे रिलायंस के पेट्रोल पम्प भी बन्द होना प्रारम्भ हो गए

रिलायंस जब देश मे थोक डीजल सप्लायर बन चुका है तो अपनी ही कम्पनी के पेट्रोल पंप में खुद ही 25 रुपये ज्यादा में थोक डीजल सप्लाई क्यों करेगा?
किसी भी व्यक्ति की सबसे बड़ी मजबूती उसकी बाँह और उसका कमाया हुआ अथवा इकट्ठा किया हुआ धन होता है।
किसी इंसान को अगर कमजोर करना है तो सीधा उसके धन पर आक्रमण करो, वह स्वतः कमजोर हो जाएगा।
और यह किस प्रकार से किया जाता है उसका उदाहरण नरेंद्र मोदी के कार्यकाल को देखने के उपरांत समझ आ जाता है।
नरेंद्र मोदी में हिम्मत नही है कि सार्वजनिक पत्रकार वार्ता कर के पत्रकारों के सवालों का जवाब दे दे, गलती से एक बार बैठे भी थे तो छोटे बच्चों की तरह सिखा पढ़ा कर बैठाया गया था उनको तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा।
मोदी अम्बानी याराना की गाथा को आइए क्रमवार पढ़ते है।
फ्री कॉलिंग, 4G डेटा, फ्री सिम की भीख, जिओ के खातिर नोटबन्दी की खबर हुई थी ‘लीक’
वक्त था 2016 का, रिलायंस का स्मार्ट और रिम सीरीज समाप्ति के कगार पर थे, एक नए रूप में 4g डेटा के साथ जिओ का काम चलाऊ प्रचार के साथ नेटवर्क लगाने का काम चालू था। फिर अचानक से नोटबन्दी की घोषणा हुई, पूरे देश मे हाहाकार मच गया, 500 और 1000 के सभी पुराने नोट रद्द हो गए, बड़े बड़े व्यापारी से लेकर हर कम्पनी वाले इस अचानक आई आपदा से सत्ता के शरणागत हो गए, बोरियों में भर भर कर नोट जलाए जाने लगे, बहाए जाने लगे , बदनामी और जेल के डर से।
ताज्जुब सी बात है कि एक वक्त विश्व के सबसे अमीर आदमी रह चुके अम्बानी साहब को जरा भी इस आपदा के तनाव में नहीं देखा गया।
फिर नोटबंदी के कुछ दिनों के बाद ही मुफ़्त में फ्री कॉलिंग और 4g डेटा युक्त सिम मिलना चालू हो गया।
नोटबन्दी के उस दरमियान में अम्बानी की निश्चिंतता और जिओ की फैलाई गई मुफ्तखोरी यह बतला देती है कि नोटबन्दी करने का असल कारण क्या था।
क्योंकि रिजर्व बैंक में 99% से ज्यादा नोट वापिस आ गए थे, थोड़े बहुत जो बचे थे वो या तो जला दिए गये थे या बहा दिए गए थे।
झूठ था वो वादा की नोटबन्दी से काला धन वापिस आएगा।
झूठ था वो वादा की नोटबन्दी से आतंकवाद पर लगाम लगेगी।
क्योंकि नोटबन्दी से आतंकवाद पर लगाम लगनी होती तो पुलवामा जैसा महाभीषण आतंकी हमला अंजाम नहीं दिया जाता।
रेलवे में सप्लाई जाता, अम्बानी का तेल।
दाम बढ़ाके थोक पच्चीसा, मोदी खेले खेल।
यह खेल उस वक्त शुरू हुआ था जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पहली बार 2014 के कार्यकाल में सत्ता में प्रतिस्थापित हुई थी।
समय था जुलाई 2015 का जब अचानक से एक टेंडर जारी होता है रेलवे को डीजल सप्लाई देने का तथा उस टेंडर को हासिल करने वाली कम्पनी रिलायंस बन जाती है। जी हाँ वही रिलायंस जिसके मालिक अम्बानी साहब है। वही अम्बानी जिनके पर्सनल पार्टियों में देश का प्रधानमंत्री शामिल होता है। वही अम्बानी जो यह तय करता है की देश मे अगला विकास कार्य कौन सा आयोजित किया जाएगा।
रेलवे देश की सबसे ज्यादा डीजल खपत करने वाली कम्पनी है, जिसकी खपत लगभग रोजाना 65 लाख लीटर की है।
उक्त रिलायंस को रेलवे में डीजल सप्लाई का दिया गया टेंडर, मोदी सरकार का दिया हुआ पहला तोहफा रहा।
अब इसी के दूसरे पहलू पर यदि नजर डाले तो, वर्तमान में नये आदेश के अनुसार 25 रुपये महंगा थोक डीजल के दाम की बढ़ोत्तरी हो गयी।
दूसरी तरफ धीरे धीरे रिलायंस के पेट्रोल पम्प भी बन्द होना प्रारम्भ हो गए। अब इसमें क्रोनोलॉजी समझने की जरूरत है। भला रिलायंस जब देश मे थोक डीजल सप्लायर बन चुका है तो अपनी ही कम्पनी के पेट्रोल पंप में खुद ही 25 रुपये ज्यादा में थोक डीजल सप्लाई क्यों करेगा?
इससे बेहतर है पेट्रोल पंप बन्द कर देना…
और वही हो रहा है, विस्वास न हो तो अपने आस पास के रिलायंस पेट्रोल पम्पो का पता लगाकर स्थिति देखिए।
-अचूक संघर्ष