ईंधन मूल्य घटाव: पहले पूरे कपड़े लिया उतार, फिर दिया लंगोट वापसी का उपहार !

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अमित मौर्या

कभी(2014 में) महंगाई खात्मे का वादा लेकर आये नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार दो साल बाद(2024 में) अपने दस साल पूरे कर लेगी। इस दरम्यान मंहगाई खत्म होने की बात तो दूर की कौड़ी हो गयी, यानी असम्भव। मने जिस जनता ने नरेंद्र मोदी को महंगाई से निज़ात दिलाने को प्रधानमंत्री की कुर्सी थमाई थी। “वह चारा बिन बेचारा” के कंडीशन में आ चुकी है।महंगाई पूरी तरीके से हर वस्तु पर छा गयी है। इसमें खाद्य,खाद्य तेल और ईंधन तेल जो सामान्य लोगों के लिये भी सबसे जरूरी है,उसके भी दाम आसमान छू रहे हैं।

बहरहाल मोदी सरकार ने ईंधन तेलों (डीजल पेट्रोल) पर एक्साइज ड्यूटी घटाई है। जिससे पेट्रोल 9.50 रुपये और डीजल 7 रुपये सस्ता हुआ है।
इससे महंगाई के मार से मर रही जनता को कुछ राहत तो पहुँची है। मगर यह वैसे ही है,जैसे कोई आपके शरीर से पूरे कपड़े उतार लें और जब आप रोयें गिड़गिड़ायें तो वह आपकी लंगोट वापस कर दे।

न न मैं ऐसा चिढ़कर हरगिज़ नही कह रहा हूँ,जिसे मोदी सरकार के इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक बताना है। बताये जिन्हें मोदी सरकार को इस फैसले को महान जताना हो जताये।

मगर मेरे ऐसा कहने के पीछे तर्क और तथ्य है। एक विश्वस्त मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार ने एक्साइज ड्यूटी को 13 दफा बढ़ाया और मात्र 5 दफा घटाया है। मीडिया रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं की अप्रैल 2014 से जनवरी 2016 तक मोदी सरकार ने पेट्रोल डीजल पर 10 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाया है। और अक्टूबर 2017 अक्टूबर 2018 तक 3 बार एक्साइज ड्यूटी घटाया। और फिर जुलाई 2019 से मई 2020 तक 3 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाया।
औऱ नवम्बर 2021 से मई 2022 में 2 बार एक्साइज ड्यूटी घटाया।
यानी एक्साइज ड्यूटी घटाने बढ़ाने में बढ़ाने का पलड़ा भारी और घटाने का पलड़ा हल्का रहा।
इस लिहाज से यही नजर आ रहा है कि पहले टैक्स बढ़ाकर जनता से जमकर वसूल लें फिर जब जनता मंहगाई पर सवाल उठाये तो उसमें कुछ घटाकर खुद की पीठ थपथपा लें। मैं तो यही कहूंगा कि मोदी सरकार की ऐसी रहनुमाई से जनता को राहत कम सांसत ज्यादा मिलेगी। क्योंकि कुछ दिनों की राहत के बाद सम्भव है कि पूर्व की तरह एक्साइज ड्यूटी बढ़ेगी।

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