कोरोना कंट्रोल करने के लिए चीन में क्रूरता की सारी हदें पार, रोबोट कुत्ते सड़क पर

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कोरोना वायरस के कारण चीन की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। चीन की सरकार कोरोना को कंट्रोल नहीं कर पा रही, जिसके बाद अब उसने अपने नागरिकों पर क्रूरता शुरू कर दी है। शंघाई में अभी भी लॉकडाउन जारी है। सड़कों पर घूमने वाले ज्यादातर लोग सरकारी कर्मचारी हैं, जो सफेद PPE किट पहने हुए दिख जाएंगे। जीरो कोविड स्ट्रेटेजी के चलते चीन ने नागरिकों पर क्रूरता की सारी हदें पार करनी शुरु कर दी है।
शायद चीन अपने नागरिकों को जानवरों की तरह समझता है, इसीलिए सरकारी कर्मचारी लोगों के घरों के बाहर हरे रंग के लोहे के जाल लगा रहे हैं, ताकि वे बाहर न निकल सकें और घरों में कैद रहें। बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों में अपने घरों के बाहर पिंजड़े की तरह जाल लगता देख नागरिक भी डरे हुए हैं। शंघाई के पुडोंग जिले को उच्च जोघिम वाला क्षेत्र घोषित किया गया है। सरकार यहां सख्ती कर रही है तो नागरिक कह रहे हैं कि उनके साथ जानवरों की तरह व्यवहार किया जा रहा है। लोगों ने पूछा कि क्या शंघाई में किसी नेता के घर के बाहर इस तरह की फेंसिंग लगाई जा सकती है? शंघाई के अन्य इलाकों का भी यही हाल है।
रेस्टोरेंट में लोगों को किया कैद
शंघाई में लोगों पर किस तरह अत्याचार हो रहा है उसका एक वीडिया हाल ही में सामने सामने आया है, जिसमें PPE किट पहने कर्मचारी रेस्टोरेंट के गेट को सील कर रहे हैं। ताकि जो लोग अंदर हैं वह बाहर न आ सकें। रेस्टोरेंट में दो बुजुर्गों को कैद कर दिया गया। वहीं, कर्मचारियों ने उन लोगों पर डंडे भी बरसाए जो भोजन की मांग कर रहे थे। इसके साथ ही सर्विलांस के लिए अब टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन के जरिए नजर रखी जा रही है। वहीं रोबोट कुत्तों के जरिए भी लोगों को घरों में ही रहने को कहा जा रहा है।
स्कूल में बच्चे भी PPE किट पहन कर पहुंच रहे
सोमवार को सामने आए एक वीडियो में यह भी देखा गया कि चीन के स्कूल में छोटे बच्चे PPE किट पहन कर पढ़ने के लिए आए। यह चीन की क्रूर जीरो कोविड पॉलिसी का चेहरा है। सख्त लॉकडाउन के बावजूद भी वह कोरोना को कंट्रोल करने में नाकाम ही दिख रहा है। चीन लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं है उन्हें भी घरों में कैद रखा जा रहा है। शंघाई में अभी तक चार लाख मामले आए हैं और 138 मौतें दर्ज की गई हैं. लेकिन चीन के 100 अन्य शहरों में भी कुछ सख्ती लागू कर दी गई हैं, जो लगातार बढ़ती जा रही है।
-एजेंसियां

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