समाजशास्त्र विभाग के छात्रों ने मनाया शिक्षक दिवस

Press Release बिहार

 समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के सामाजिक-सांस्कृतिक कमेटी के निर्देशन में सभी छात्रों के द्वारा शिक्षक दिवस का आयोजन किया गया। जैसा की हम सभी जानते है कि इस दिवस का आयोजन देश के द्वितीय राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस के अवसर पर किया जाता है। समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग में इस दिवस का शुभारंभ डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की प्रतिमा के समक्ष विभाग के समस्त शिक्षकों – डा.अनिल कुमार सिंह झा (विभागाध्यक्ष), डा.सनत कुमार शर्मा; डा.जीतेन्द्र राम; डा.हरेश नारायण पाण्डेय; डा.पारिजात प्रधान; और डा. प्रिय रंजन जी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के माध्यम से किया गया। इस कार्यक्रम का सफलता पूर्वक संचालन विभाग के ही दो स्नातकोत्तर छात्राओं- सुश्री डोनिया मेरी और सुश्री अनुरूपा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की दोनों संचालिकाओं ने डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे एक शिक्षक के रूप में जीवन की शुरुआत करते हुए जीवन में सर्वोच्च पदों जैसे बी.एच.यू. के कुलपति, डी.यू.के कुलाधिपति, यू.एस.एस.आर. में भारत के राजदूत, भारत के पहले उपराष्ट्रपति तथा दूसरे राष्ट्रपति पद को प्रतिष्ठित किये। बच्चों के आग्रह पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष डा.झा ने बताया कि छात्राओं को अपने जीवन में हमेशा सीखने की सोच व क्षमता, समन्वयन, अनुभवों की भूमिका, आधुनिकता तथा परंपरा के पूरक तत्वों की दैनिक-जीवन व व्यवहार में उपयोगिता पर जोर दिया। डा.शर्मा ने बताया कि सकारात्मक सोच व आशावादी व्यवहार उच्च शिक्षा के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। डा.जितेन्द्र राम ने शिक्षा पर डा.अम्बेडकर को उद्धरित करते हुए बताया कि शिक्षा मनुष्य को ससक्त बनाती है। यह समाज में समावेशी तत्वों का प्रसार करती है। डा.पाण्डेय ने बताया की आज शिक्षा का अर्थ नौकरी पाने तक सीमित हो गया है। शिक्षा समाज के हर वर्ग को जोड़ सकती हैं पर आज ऐसा नहीं हो रहा है। डा.प्रधान ने लघु कथाओं के माध्यम से शिक्षकों की निर्माण क्षमता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे गुरु चाणक्य ने एक सामान्य बालक को भारत का सम्राट बनाया। डा.प्रिय रन्जन ने शिक्षा के दार्शनिक पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया की शिक्षा गुरु के मार्गदर्शन में चरित्र निर्माण का कार्य करती हैं पर आज तकनीकी का शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक प्रयोग हमें केवल सूचना प्रदान कर सकती है। विभाग के छात्रों ने भी अपने विचार प्रकट किये इस दिवस पर शोध छात्र श्वेतांक ने बताया कि जो समाज और सभ्यता शिक्षा का सम्मान करती है उसका विकास निश्चित है। विभाग कि अन्सा फातिमा, एक स्नातकोत्तर केरल की छात्रा ने अपने मलयालम भाषा में शिक्षकों को समर्पित एक गीत की प्रस्तुति की अन्य छात्रों जैसे आकाश कुमार और शिवानी सिन्हा ने भी गीतों के माध्यम से जीवन में शिक्षकों व शिक्षा की उपयोगिता को रेखांकित किया। कार्यक्रम के अन्त में विभाग की सामाजिक-सांस्कृतिक कमेटी के समन्यवक डा.हरेश नारायण पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *