Cracks the foundation of Indian families

दरक रही है भारतीय परिवारों की बुनियाद

Life Style

[ad_1]

आमतौर पर माना जाता है कि भारतीय परिवारों की बुनियाद बहुत मजबूत होती है। ऐसा कम ही यकीन किया जाता है कि रिश्ते निभाने के मामले में हम हिन्दुस्तानी पीछे हटते होंगे। हालांकि ताजा जानकारी से पता चलता है कि 27 प्रतिशत लोगों ने किसी न किसी समय पर अपने परिवार से नाता तोड़ा है। इसमें कोई शक नहीं कि पिछले कुछ समय में पारिवारिक ढांचे में काफी बदलाव हुआ है मगर परिवारों की नींव का इस तरह से कमजोर पड़ना कई चीजों पर निर्भर हो गया है।
प्राप्ती सिन्हा (बदला हुआ नाम) अपनी पढ़ाई के लिए दिल्ली में अपने घर से दूर गई थी। शुरू-शुरू में तो घर की काफी याद आई लेकिन बाद में दोस्त बन गए और धीरे-धीरे घर की याद और घर फोन करना, दोनों कम हो गया। इसी बीच घर वालों ने भी शिकायत करना कम कर दिया। तीन साल बाद जब वह वापस आई तो घर से उनका रिश्ता काफी बदल चुका था। अब घर में उन्हें सहज महसूस नहीं होता था और वापस अपनी उस दुनिया में जाने के लिए वह बेचैन रहती थी।
बदल रहे हैं रिश्तों के मायने
पारिवारिक रिश्तों के मायने तेजी से बदल रहे है। हम अपने मां-बाप से प्यार करते हैं लेकिन कई बार कई और चीजें हमारे लिए और जरूरी हो जाती हैं। ऐसे ही हमारे मां-बाप भी हमसे प्यार करते हैं मगर बढ़ती उम्र के साथ आने वाली निश्चिंतता (पेंशन, बच्चों की शादी, पढ़ाई आदि की चिंता से मुक्ति) से वह भी अपनी दुनिया अपनी मर्जी से जीने की जरूरत महसूस करते हैं।
मां-बाप को भी लगता है बुरा
कुछ मां-बाप मानते हैं कि बच्चे उन्हें हर वक्त अपनी जरूरतों के लिए इस्तेमाल करने की सोचते है। नाम बदलने की शर्त पर एक महिला ने बताया, ‘शादी के बाद मेरी बेटी दूसरे शहर शिफ्ट हो गई थी। मैं भी निश्चिंत होकर किटी पार्टी वगैरह में शामिल हो गई। बाद में जब उसकी डिलिवरी हुई तो उसने परेशानी के चलते मुझे अपने पास बुला लिया। मैं भी मदद करने का सोच कर चली गई। बाद में लगा जैसे मैं केवल इसलिए हूं ताकि मेरी बेटी बच्चा होने के बाद भी अपनी पुरानी जिन्दगी बिना मुश्किल जी सके। इसके बाद मैं वापस आ गई।’
लंबे समय से चली आ रही समस्याएं बनती हैं वजह
साइकॉलजिस्ट मानते हैं कि परिवार के टूटने के कारण अचानक पैदा नहीं होते। कई बार और समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे पैसा, प्रॉपर्टी, पसंद-नापसंद आदि। छोटे-मोटे झगड़े, किसी सदस्य की अनदेखी वगैराह के चलते भी अक्सर परिवारों में मनमुटाव हो जाता है। पर जो भी हो परिवार सबसे बडे सर्पोट सिस्टम में से एक होता है इसलिए कोशिश करनी चाहिए की परिवार की मूल अवधारणा जिंदा बनी रहे और केवल मर्दस डे, फार्दस डे या सोशल मीडिया तक सीमित होकर न रह जाए।
-एजेंसी

[ad_2]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *