उत्तम प्रदेश में कुलपतियों की नियुक्ति में चल रहा भ्रष्टाचार का खेल
वाराणसी। उत्तम प्रदेश का चोला पहनने वाले ईमानदार मुख्यमंत्री की नाक के नीचे चल रहा भ्रष्टाचार का खेल मुखिया की संज्ञान में नहीं। विदित हो कि प्रदेश में चार विश्वविद्यालयों के कुलपति की खोज करने के लिए कागजों में तो ईमानदारी बरती जा रही है। जिससे कि कुलपति की नियुक्ति के पश्चात उच्चशिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हो सके। रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली की सर्च कमेटी ने 11 एवं 12 अगस्त को एवं वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर की सर्च कमेटी ने 13 अगस्त को राजभवन में दोनों विश्वविद्यालय के कुलपति हेतु पांच नाम राज्यपाल को सुपुर्द किया और रूहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली में कुलपति के पद पर डॉ.के.पी.सिंह की ताजपोशी कर दी गई वहीं पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर अभी भी मुखिया के इंतजार में प्रतीक्षारत है। 20 अगस्त 2023 को गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद हेतु राजभवन में 15 लोगों का नाम चर्चा में आने के बाद गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ.राजेश सिंह जिनपर गंभीर आरोप के बाद भी जौनपुर के पैनल में सम्मिलित करते हुए पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के कुलपति हेतु रेस में सबसे आगे होना आश्चर्य चकित करने वाला है। जौनपुर के कुलपति को गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर नामित किया जाना और भी आश्चर्य चकित करने वाला है। राज्यपाल के ओएसडी के जौनपुर आगमन के दौरान पूर्व कुलपति को आश्वस्त करना स्पष्ट संकेत देता है कि कुलपति की नियुक्ति में लंबा खेल चल रहा है। जब पुराने कुलपतियों को ही पुनः नियुक्त किया जाना है तो साक्षात्कार का ड्रामा क्यों किया जा रहा है। क्या उच्च शिक्षा में योग्य और कुशल लोगों की कमी हो गई है या कोई अन्य मानक हैं जो पुराने कुलपति पूरा कर रहें है और नये अभ्यर्थी नही कर पा रहें हैं। यदि ऐसा है तो इसकी शिक्षा अन्य उम्मीदवारों को भी दी जानी चाहिए जिससे वे कुलपति बनने के मानक को पूर्ण कर सकें।