काला सच उजागर होने पर बौखलाये एआरएम रोडवेज मक्खन लाल केशरवानी, जिलाधिकारी को पत्र लिखकर लगाई ” सच के खिलाफ” जांच की गुहार
लीडररोड डिपो की महिला परिचालक ने ही चार्ज सभालते ही लगाये थे गम्भीर आरोप
–अजय सिंह-
फतेहपुर। रोडवेज बसों के संचालन और रूट चेकिंग और विभाग की कारगुजारी छपी खबरों से बौखलाये एआरएम फतेहपुर ने जिलाधिकारी को काला सच के खिलाफ खबरों का आधार बना कर अपनी खबर को न लेकर माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार व जिलाधिकारी बलिया व पुलिस अधीक्षक बलिया की आड मे खेल खेलना शुरु कर दिया है इन महोदय को अपने जनपद की विभाग की कारगुजारी कम व अन्य जनपदों की लगी खबरों से ज्यादा ही सरोकार नजर आ रहा है इन्ही खबरों की आड लेते हुये हये अपने आप को बचाने का बहाना ढूढनें का पत्र लिखकर नायाब तरीका ढूढ निकालने की कोशिश कर रहे है रोडवेज की खबर जब आपके अखबार “अचूक संघर्ष” पर प्रकाशित हुयी तो विभाग मे हडकम्प मच गया और परिवहन निगम के ए आर एम बौखला कर एक पत्र जिलाधिकारी के नाम पत्रकारों पर ही उल्टा कार्यवाही के लिए लिख डाला, यह महोदय अधिकारी कम और सरकार के पक्षधर ज्यादा ही नजर आ रहे है और जब विभाग का काला सच अचूक संघर्ष ने अपने अंक मे छापा तो ए आर एम मख्खनलाल केशरवानी बौखलाकर अनुचित लाभ जैसे मनगढ़ंत आरोप लगाकर और धमकी जैसे शब्दों से बच निकालने का रास्ता ढूढ रहे है। सच को छापना पत्रकार के लिए कही न कही नाराजगी तो नजर आयेगी ही न आपको ए आर एम साहब, हम खबर को मक्खन लगाकर नही छापते,जो छापते होंगे मक्खन लगाकर लगाकर उनसे आप खूब खबर छपवाईये हम तो सच ही छापेंगे, चाहे जो हो, आप आरोप लगाईये हम साक्ष्य रख देगें समय आने पर।
कोई भी अधिकारी अपने विभाग व कार्यालय की काली खबरें कभी भी नही छपवाता कि जिस तरह से आप अपने परिवहन निगम की उपलब्धियों का वखान कर रहे है जो निरान्तर सर्वप्रथम स्थान पर रहा है यह तो आप खुद ही बखान कर रहे है। रही बात प्रशंसा की तो की रोडवेज की रीढ कहे जाने वाले चालक और परिचालक ही असली कोरोना काल के प्रशंसा के पात्र रहे है और आप जबरदस्ती ही अपनी पीठ थपथपा रहे है।
सूत्रों के मुताबिक एक लम्बे समय से जमे जनपद को खोखला करने में विभाग को कोई कोर कसर नही छोड़ रखा गया है रही बात अभी हाल मे सोशल मीडिया मे वायरल हुये वीडियो ने भी कानपुर के संविदा चालक और परिचालक ने धरने पर बैठकर विभाग की पोल खोलकर रख दी है।
परिवहन निगम की लगातार खबरें प्रकाश मे आने के कारण अचूक संघर्ष ने जब खबर छापा तो विभाग मे हड़कम्प के साथ साथ सनसनी फैल गयी। की कोई तो है जो पत्रकारों को विभाग की जानकारी दे रहा है। सूत्रों के मुताबिक हर महीनें चेकिंग मे एक बड़ा खेल किया जाता है। चालक और परिचालक अपने खेल से बाज नही आ रहे है इलाहाबाद से फतेहपुर और कानपुर की बसों मे चालक और परिचालक बिना टिकट के यात्रा कराते हुये कोई नयी बात नहीं है सूत्र बताते है कि चार लोगों तक को अगर परिचालक बस मे बिना टिकट के यात्रा कराते हुये चेकिंग मे पाया जाता है तो उसकी नौकरी बच सकती है। और इससे अधिक की संख्या हुई तो अधिकारी को मैनेज करे य नौकरी से हाथ धोयें, अब तक कितने लोगों की चेकिंग के नाम पर नौकरी गयी है य सब कुछ बहुत ही अच्छी तरह से संचालन होता है जानकर तो यहां तक बतातें है जब बडा खेल होता है तब पूरा डाटा ही साफ कर दिया जाता है इसमे निचले स्तर से लेकर बडें स्तर तक के अधिकारी शामिल होते है अकेले के बस से बाहर है ये पूरा खेल, कई वर्षो से जमे एआरएम मक्खनलाल केशरवानी को फतेहपुर मे मक्खन मलाई खाने की आदत पड गयी है तभी तो चेकिंग के नाम पर महज खानापूर्ति और यात्रियों के फोन शिकायत का कोई असर नही पड रहा है यात्री फोन पर शिकायत करते रहते है कि आपका चालक नशे की हालत मे गाडी चला रहा है और परिचालक के द्वारा गाडी भी नही रोकवायी जाती है इसका सरोकार शिकायत कर्ताओं पर कोई ध्यान नही दिया जा रहा है बस ध्यान है तो कवि सम्मेलन का और मैनेजमेंट पास का, असली खेल विभाग मे बैठें कुछ भ्रष्टाचारी बाबुओ के द्वारा खेल खेला जाता है।
अभी पिछले अंक मे सोशल मीडिया मे वायरल हुयें हस्त लिखित पास की खबर जब छपी तो एआरएम पूरी तरह बौखला गये जो पूरी तरह विभाग को चूना लगा रहा है। सूत्र बताते है कि यह पास तो महज वानगी है इस तरह के पास से बहुत लोग यात्रा करते है इन हस्त लिखित पास के आधार पर ही लोगों को मुफ्त मे यात्रा करायी जाती है जिसमे बस परिचालक की क्या मजाल की यात्रा न करायें इस तरह के पास की अगर सही तरीकें से जाँच हो जाये तो परत दर परत विभाग की कलई खुल जायेगी
वही पिछले अंक मे छपी खबर मे जब एआरएम से हस्तलिखित पास के बारे मे जब जानकारी चाही थी तो सीधा सा एक सवाल था आपको क्या दिक्कत है। और सवाल पत्रकार से पूछने लगें
विभाग में कोई भी कार्य होना होता है तो बाबूओ के माध्यम से लिस्ट वाकयदा पहुच जाती है कि किसको कितना चंन्दा किस कार्य के लिए देना है सूत्रों ने बताया कि इसके पहले जो भी अधिकारी रहे है इस तरह से कभी भी कोई भी चंन्दा नही लिया जाता था अभी इसी माह अप्रैल मे ही कवि सम्मेलन के आयोजन के नाम पर लगभग एक सैकडा से अधिक चालक और परिचालकों से चंन्दे के रूप मे 500से लेकर 1000 व दो 2000 रूपये तक चंन्दे के रूप मे लिया गया था। इस बाबत कोई भी बोलने को तैयार नही है और अगर ये कवि सम्मेलन करवाया गया तो इस सम्मेलन का खर्च कौन कहा से करवाया गया क्या इसका भी कोई विभाग की ओर से वजट आता है क्या। कि इसका भी कोई मैनेजमेंट होता है।संविदा के चालक और परिचालकों की गर्दन इतनी पतली होती है कि कुछ कहना ही नहीं।
सूत्रो बताते है कि इस समय विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार है।रोडवेज बस स्टाफ परिसर में बने मंन्दिर को लेकर भी खूब चर्चा मे रहा यह चंन्दा, इस चंन्दे मे भी विभागीय व वाहरी लोगों ने चंन्दा दिया था इस पर भी भारी खेल हुआ है जिसको लेकर तरह तरह की चर्चाए है चालक और परिचालक यदि चेंकिंग के दौरान बिना टिकट यात्रा कराते हुये फस गये तो या तो लाल कलम चल जायेगी य विभाग में बैठे सेटिंग बाज बाबूओं के द्वारा चढावा जाए या तो नौकरी जाए आखिर नौकरी से कौन जाना चाहता है इस बेरोजगारी के समय में
पिछले दिनों बृजेश निगम और शैलेन्द्र पाण्डेय परिचालक इसका महज उदाहरण है सूत्र तो यहा तक बताते है मनपसंद रोड पर चलने के लिए भी चालक और परिचालक को रूट ड्यूटी लगवाने के लिए कुछ सुविधाओं को पाने के लिए भी खुश करना पडता है विभागीय जानकारों के मुताबिक़ तबादला एक्सप्रेस चली तो प्रयागराज मण्डल के ही एक कैबिनेट मंत्री का आशीर्वाद प्राप्त है जो तबादला एक्सप्रेस मे रोक लगवाने मे माहिर माने जाते है। परिवहन निगम की बसों पर स्लोगन तो बहुत लिखे होते है पर इसका पालन होता दिखाई नही देता है। सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह जाता है। बिना टिकट यात्रा करना दण्डनीय अपराध है तो क्या इस तरह से हस्त लिखित पास से यात्रा कराना अपराध व विभाग को चूना लगाने की श्रेणी मे नही आता है क्या विभागीय लोग बताते है विभाग में बहुत कुछ ठीक नही चल रहा है लोग अगर किसी भी प्रकार कि शिकायत करते है तो उन शिकायतों को ठण्डे बस्ते पर डाल दिया जाता है कहते है अतिथि देवो भव:( यात्री भगवान होते है) पर इस जनपद मे यात्रियों की सुनने वाला ही कोई नही है आप शिकायत करते रहियें इसके बाद इन शिकायतों को रद्दी की टोकरी मे डाल दिया जाता है।
अभी 25 अप्रैल को ही दैनिक यात्री “सुधा”लगातार कानपुर से फतेहपुर और फतेहपुर से कानपुर की सोशल मीडिया/वाटट्शाप के जरिये शिकायत कर रही है जो लगातार गुहार लगा रही है जो कि पेशे से शिक्षका है इनकी शिकायत पर बस नम्बर 7313 टोनी और सुरेन्द्र प्रताप यादव के बस न रोकने का कारण बता रही है जो कि लगातार 11सालों से दैनिक यात्रा करती है महज सिर्फ यह शिकायत कागजों मे ही खेल बनकर रह गयी है
काली कमाई का अहम हिस्से का असली खेल परिवाहन निगम मे अनुबंधित बसो को मार्ग मे प्रस्थान करने से आधे घण्टें पहले बस स्टैण्ड पर आने का नियम है लेकिन एआरएम मक्खन लाल केशरवानी की मनमानी के द्वारा अनुबंन्धित बस मालिकों से एक मोटी सुविधा शुल्क लेकर बस स्टेशन के प्रांगड मे ही चौबीसों घण्टें पार्किंग करने की छूट दे दी है इन लगभग तीन दर्जन खड़ी बसो मे अराजक तत्व बैठकर नशा करतें और जुवा खेलते है।तथा रात्रि के समय अन्य अपराधों को भी अंजाम देने का काम करते है। जिससे महिला यात्रियों को विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसका निरीक्षण कभी भी बस स्टैण्ड पहुच कर किया जा सकता है। अनुबंन्धित बस मालिकों ने यहा अवैध ढंग से अपने मुन्शी भी पाल रखे है जो परिवाहन निगम की बसो को यात्री नही लेने देते और अपनी बसों में स्टैडिंग करके यात्री भेजते है जिससे परिवाहन निगम की बसों को पचीसों लाख रूपये महीनें का नुकसान लगभग हो रहा है इसके एवज में मख्खनलाल केसरवानी अनुबंन्धित बस मालिकों की ओर से हर महिने का अच्छा खासा नजराना मिलता है अभी अप्रैल के पहले हफ्ते अवध डिपों की ए.सी.सेवा जो कि चित्रकूट धाम तक चलती है उसके स्टाप न आने और वाईपास से आने जाने के लिए धमकाया गया था।
-अचूक संघर्ष