यही है साहब का न्यू इंडिया यहां बोलने पर है पाबंदियां
न्यायालय ने जमानत देकर बचाई लोकतंत्र की लाज
अमित मौर्या
जब दुनिया अपनी चहुमुखी प्रगति के मुद्दों पर बहस करती है, तो भारत में सामाजिक रूप से वंचित लोगों के उत्पीड़न का मामला पूरे देश को शर्मसार कर देता है । यह कोई नई कहानी की तरह नही है बल्कि इस देश मे आये दिन वंचितों पर हो रहे हमले इसकी खुलेआम गवाही दे रहे है ।
इस बार भाजपा और संघ के निशाने पर कोई सामान्य बहुजन तबके के कार्यकर्ता या नेता नही बल्कि विश्वविद्यालयों में पढ़ाने वाले प्रोफेसर इनके निशाने पर है । देशभर में इस मुद्दे पर चर्चा तो है लेकिन राजधानियों में घटी कई घटनाओं का सरकारों द्वारा गहराई से संज्ञान न लेना भी कई सवाल खड़े करता है । ताजा मामला यूपी की राजधानी लखनऊ से जुड़ा हुआ है, लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित प्रोफेसर डॉ रविकांत ऊपर परिसर में ही हमला हुआ और प्रशासन तथा सरकार मूकदर्शक बनी रही ,इस मुद्दे पर डॉ रविकांत ने बताया कि 8 मई को लखनऊ विश्वविद्यालय में ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने उन्हें घेरकर जातिसूचक गालियां दिया और जान से मारने का प्रयास किया , इस बीच वे किसी तरह बीच बचाव करके वहाँ से निकल पाए ,उसके बाद उन्होंने स्थानीय थाना में लिखित शिकायत भी दर्ज करवाई परंतु प्रशासन दलित होने के कारण ,किसी भी प्रकार की उनकी मदद नही किया ।
वही दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतनलाल को एक बयान के मामले में रात्रि में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार करवाकर केंद्र सरकार ने यह साबित कर दिया कि उन्हें बहुजन समुदाय के विद्वानों से भी परेशानी है । दरअसल में दूसरा मामला यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के चिंतक प्रोफेसर रतनलाल पर धार्मिक टिप्पणी को लेकर आरोप लगाया गया ,जबकि प्रो. रतनलाल लंबी अवधि से वंचित समुदाय को जगाने का कार्य कर रहे है ।
मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तबसे दलित समुदाय के चिंतकों पर हमले बढ़े है,इस देश में रोहित बेमुला से लेकर गौरी लंकेश तक की हत्या भी हो चुकी है,लेकिन सरकार कही भी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने को तैयार नही हुई है ।जिससे स्पष्ट जाहिर होता है कि भाजपा सरकार में दलितों की सुरक्षा को लेकर कोई योजना नही है बल्कि संघी मानसिकता के प्रभावित अराजक तत्वों द्वारा इन हमलों को अंजाम दिलवाया जा रहा है ,बाद में खुद भाजपा से जुड़े नेता इन हमलावरों का उत्साह बढ़ाने के लिए सार्वजनिक मंच पर सम्मान भी कर रहे है ।
प्रोफेसर रतनलाल को मिली जमानत :
दिल्ली विश्वविद्यालय में बहुजन मुद्दों पर विमर्श करने वाले प्रो. रतनलाल को जमानत मिल गई है, इस मुददे पर देशभर के बहुजन चिंतकों के बीच प्रो. रतनलाल की गिरफ्तारी के विरोध में माहौल गर्म हो चुका था ।
हालांकि कोर्ट से जमानत के बाद इस पूरे घटनाक्रम की अलग से समीक्षा जारी है ।
अभिव्यक्ति एवं लोकतंत्र पर खतरा – डॉ रविकांत
सामाजिक न्याय के मुद्दे पर मुखर लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रविकांत ने बताया कि संघ और आर एस एस की सोची समझी रणनीति के तहत ही दलित विद्वानों पर हमले किये जा रहे है ताकि दलित और पिछड़ों का दमन आसानी से किया जा सके । यह सभी सत्ता के इशारे पर चल रहा है ,सत्ता में बैठे मनुवादी रणनीतिकार यह चाहते है कि देश मे वंचितों की आवाज को दबा दिया जाए । ताकि उनके सम्मान और हक की आवाज बुलंद करने वाले लोग खामोश हो जाये । लेकिन यह सम्भव नही है,बदलाव की आहट सत्ता को भी महसूस हो रही है और यह आगे दिखाई भी पड़ेगी । लेकिन ऐसे गंभीर मामलों पर विद्वानों और छात्रों को एकजुट होकर प्रतिवाद करने की जरूरत है ।