योगी जी ने 37 साल बाद रचा इतिहास, यूपी की जनता ने जताया विश्वास

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योगी ने तोड़ा नोयडा का मिथक, 37 साल बाद बने मुख्यमंत्री दूसरी बार लगातार

साबित किया कि सन्यासियों के लिये अंधविश्वास मायने नही रखती

अमित मौर्या-

वाराणसी। यूपी में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पर दोबारा काबिज़ हो गये हैं। सुव्यवस्थित तरीके से सरकार चलाने के लिये मंत्रिमंडल का भी गठन हो गया है।

मगर इन सब के बीच कुछ खास नजर आया तो वह यह कि योगी आदित्यनाथ ने वह करिश्मां कर दिखाया जो यूपी के इतिहास में 37 साल बाद हुआ है। योगी सरकार से पहले आज से साढ़े तीन दशक पहले 1985 में आखिरी बार सरकार रिपीट हुई थी। तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 1980 और 1985 दोनों ही चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। उसके बाद यूपी को लगातार दूसरी बार सरकार रिपीट करने का ऐतिहासिक अवसर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को मिला है। जिन्होंने पांच साल का पूरा कार्यकाल पूरी हनक से चलाते हुए फिर से बीजेपी को सत्तावापसी का तोहफा प्रदान किया है।

देखा जाय तो उत्तर प्रदेश ऐसी उपलब्धि यूपी के कई पूर्व मुख्यमंत्रीयों को नसीब नही हुई है। प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को अगर टटोलें तो अब तक डॉ. संपूर्णानंद, चंद्रभानु गुप्त, हेमवती नंदन बहुगुणा और नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और मायावती दोबारा मुख्यमंत्री बने लेकिन इन्हें यह अवसर लगातार दो बार या और इससे अधिक मिला मगर गैप करके मिला। यूपी में मिले इस उपलब्धि को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चर्चा राजनीतिक गलियारों में उनकी बढ़ते कद को और बड़ा कर दी है।

मात्र यही नहीं योगी आदित्यनाथ ने नोयडा के अपशकुन वाले मिथक को भी चकनाचूर कर दिया है। नोयडा जाने के बारे में यह धारणा बन गयी थी कि जो मुख्यमंत्री नोयडा जाता है वह अपनी कुर्सी गंवाता है। इसका कारण यह रहा कि तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह वर्ष 1988 को नोएडा गए और कुछ समय बाद उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा था। एक दो और मुख्यमंत्रीयों के साथ भी ऐसा ही हुआ कि वे नोएडा गए और अपनी कुर्सी गंवा बैठें।वीर बहादुर सिंह के बाद नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह से लेकर अखिलेश यादव तक मुख्यमंत्री बने लेकिन नोएडा सबको डराता रहा।

जब सूबे के मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह थें तब नोएडा मिथक के चलते एक फ्लाई ओवर का उद्घाटन उन्होंने नोएडा की जगह दिल्ली से किया। अखिलेश यादव भी अपने मुख्यमंत्रित्व काल में नोएडा जाने से परहेज किया। मगर उस मिथक अंधविश्वास को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पूरी तरह बुलडोजर जैसे इरादे लेकर जमीदोज कर दिया। वह पांच सालों में दर्जनों से अधिक बार नोएडा गए और उन्होंने ने नोएडा को कई सौगतें दी। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह साबित कर दिया कि सरकार अंधविश्‍वास से नहीं मजबूत इरादे से चलती है। जिसे अपने काम पर भरोसा हो उसके लिये मिथक कोई मायने नहीं रखता।और संन्यासी है मिथक को चुनौती की तरह लेता है। वह न तो वह नोएडा जाने से खौफ खाते हैं न ही आगरा के सर्किट हाउस में रुकने से। वह खौफ़ पैदा करते हैं माफियाओं अपराधियों में। उन्हें जनता से प्यार है यही हर मिथक अंधविश्वास पर प्रहार है।

-अचूक संघर्ष

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