ईमानदारी और पारदर्शिता की प्रतिमूर्ति किंजल सिंह के हाथ मे परिवहन आयुक्त की कमान,लापरवाह परिवहनकर्मियो पर कसेंगी लगाम

~ निष्ठा और पारदर्शिता पर सख्त निर्देश
~ समयबद्ध कार्य, जनता को सुविधा सर्वोपरि
~ सड़क सुरक्षा और डिजिटल सेवाओं पर जोर
~ भ्रष्टाचार पर सख्ती, ईमानदारों को प्रोत्साहन
~ मां के कैंसर ने दिया संघर्ष को और गहराई
~ लेडी श्रीराम कॉलेज से यूपीएससी टॉपर तक का सफर
~ आईएएस और आईआरएस बनीं बहनें : पिता का सपना पूरा किया
~ आज उत्तर प्रदेश की परिवहन आयुक्त पारदर्शिता की नई पहचान
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिवहन विभाग को नई दिशा और ऊर्जा मिली है। 22 सितंबर 2025 सोमवार को आईएएस अधिकारी किंजल सिंह ने प्रदेश की परिवहन आयुक्त के रूप में पदभार ग्रहण किया। पदभार संभालते ही उन्होंने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों संग बैठक कर स्पष्ट संकेत दिया कि अब विभाग में ईमानदारी, निष्ठा और पारदर्शिता ही सर्वोपरि होगी। उन्होंने कहा कि जनता को त्वरित, सरल और प्रभावी सेवाएं उपलब्ध कराना ही विभाग की प्राथमिकता है, और इसके लिए समयबद्धता, जवाबदेही और भ्रष्टाचार पर शून्य सहनशीलता की नीति लागू होगी। नव नियुक्त परिवहन आयुक्त किंजल सिंह ने पदभार ग्रहण करने के तुरंत बाद विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों और कर्मचारियों से दो टूक कहा कि विभाग की छवि जनता में जिम्मेदार और पारदर्शी बने, इसके लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी निष्ठा और ईमानदारी से निभानी होगी। चेतावनी दी कि लापरवाही या भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं होगा। यदि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आती है तो उसके खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि नागरिकों को परिवहन सेवाएं बिना किसी देरी और परेशानी के उपलब्ध हों। किंजल सिंह ने विशेष जोर दिया कि सभी कर्मचारी समय से कार्यालय में उपस्थित रहें और तय समय सीमा में काम पूरा करें। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग का कार्य सीधे जनता से जुड़ा है। लाइसेंस बनवाना, वाहन पंजीकरण, फिटनेस और कराधान जैसे कार्यों में अनावश्यक देरी जनता के असंतोष का कारण बनती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि यदि अधिकारी और कर्मचारी समयबद्धता और पारदर्शिता अपनाएंगे तो जनता के बीच विभाग की सकारात्मक छवि बनेगी। हमारा लक्ष्य है कि नागरिकों को परेशानी न हो और उन्हें हर सेवा त्वरित व पारदर्शी रूप से मिले।
राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या चिंताजनक
बैठक के दौरान किंजल सिंह ने सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या चिंताजनक है। इसे कम करने के लिए आधुनिक तकनीक, जन जागरूकता और सख्त प्रवर्तन पर जोर देना होगा। उन्होंने निर्देश दिए कि हेलमेट और सीट बेल्ट को लेकर जागरूकता अभियान तेज किए जाएं। शराब पीकर वाहन चलाने वालों और नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। उन्होंने परिवहन विभाग और पुलिस के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत बताई। डिजिटल सेवाओं पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि विभाग की कई सेवाएं ऑनलाइन हो चुकी हैं, लेकिन अभी भी नागरिकों को तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसलिए ऑनलाइन पोर्टल और सेवाओं को और अधिक सरल व सुगम बनाने का निर्देश दिया गया। उनका मानना है कि नागरिक घर बैठे ही आवश्यक सेवाओं का लाभ ले सकें, तभी डिजिटलीकरण का असली उद्देश्य पूरा होगा।
ईमानदारी से कार्य करने वाले कर्मचारियों को मिलेगा सम्मान
किंजल सिंह ने अपने संबोधन में साफ कर दिया कि विभाग में वर्षों से भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती रही हैं, लेकिन अब यह बर्दाश्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी जनता से अनुचित लाभ लेने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ तत्काल और कठोर कार्रवाई की जाएगी। ईमानदारी से कार्य करने वाले कर्मचारियों को पूरा सम्मान और सहयोग देने का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा कि अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहन दिया जाएगा ताकि पूरी टीम उत्साह और जिम्मेदारी के साथ काम कर सके।
योजनाओं की समीक्षा और जनता से संवाद
बैठक में विभाग की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई। किंजल सिंह ने लंबित कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का सीधा लाभ जनता तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि जनता के साथ संवाद को मजबूत करें। नागरिकों की शिकायतों और समस्याओं को गंभीरता से सुना जाए और उनका समाधान समयबद्ध तरीके से किया जाए।
पारदर्शिता से बनेगी सकारात्मक छवि
किंजल सिंह ने कहा कि परिवहन विभाग की छवि जनता में अक्सर मिश्रित रही है। अब समय है कि पारदर्शिता और जवाबदेही के माध्यम से इसे बदला जाए। उन्होंने विश्वास जताया कि यदि सभी अधिकारी और कर्मचारी निष्ठा से अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे तो विभाग निश्चित ही राज्य सरकार की सकारात्मक उपलब्धियों का अहम हिस्सा बनेगा।
31 साल की न्याय यात्रा से आईएएस तक : किंजल सिंह का संघर्ष बना प्रेरणा
विदित हो कि आईपीएस किंजल सिंह का सफर बहुत आसान नहीं रहा। लेकिन कहते हैं कि कठिनाइयां ही इंसान को मजबूत बनाती हैं और सच्ची लगन ही सपनों को हकीकत में बदलती है। उत्तर प्रदेश की चर्चित आईएएस अधिकारी किंजल सिंह इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। ढाई साल की उम्र में पिता को खो दिया, मां ने अकेले बेटियों को पाला, फिर कैंसर से जूझते हुए मां भी दुनिया छोड़ गईं। लेकिन अनाथ हो चुकी दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने ठाना कि अपने पिता को न्याय दिलाना है और वही सपना पूरा करना है, जो उनके माता-पिता का था। नतीजा यह कि किंजल सिंह आईएएस बनीं, बहन प्रांजल सिंह आईआरएस बनीं, और पिता के हत्यारों को उम्रकैद की सजा दिलाने का सपना भी पूरा हुआ।
ढाई साल की उम्र में खोया पिता, 31 साल तक चला न्याय संग्राम
किंजल सिंह का जन्म 5 जनवरी 1982 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में हुआ। जब वह केवल ढाई साल की थीं, तभी उनके पिता, डीएसपी के.पी. सिंह की गोंडा ज़िले में एक फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई।
दरअसल, उनके पिता ईमानदार पुलिस अफसर थे और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख़्त रुख अपनाए हुए थे। उनके ही साथियों ने, जिनमें सरोज नामक अधिकारी मुख्य साजिशकर्ता था, उन्हें माधवपुर बुलाकर गोलियों से भून डाला। इस फर्जी एनकाउंटर में लगभग 12 ग्रामीणों की भी हत्या हुई। उस समय किंजल की मां विभा सिंह ने अपने पति की मौत को अन्याय मानते हुए न्याय की लड़ाई शुरू की। छोटी बच्ची किंजल और उनकी बहन प्रांजल मां के साथ सालों तक दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट के चक्कर लगाती रहीं। यह जंग पूरे 31 साल चली, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अंततः 2013 में लखनऊ सीबीआई कोर्ट ने 18 दोषियों को सजा सुनाई और के.पी. सिंह को न्याय मिला।
मां के कैंसर ने दिया संघर्ष को और गहराई
किंजल और उनकी बहन प्रांजल के जीवन में दूसरा सबसे बड़ा सदमा तब आया जब उनकी मां विभा को कैंसर हो गया। कई साल तक बीमारी से लड़ते हुए 2004 में विभा का निधन हो गया। मां के आखिरी पलों में बेटियों ने उन्हें यह वचन दिया कि वे उनके सपनों को पूरा करेंगी। मां चाहती थीं कि उनकी बेटियां आईएएस अधिकारी बनकर पिता के अधूरे सपने को पूरा करें और उन्हें न्याय दिलाएं। मां की मृत्यु के बाद बहनों पर अनाथ होने का बोझ आ गया, लेकिन हिम्मत टूटी नहीं। किंजल ने पढ़ाई में डटे रहने का फैसला किया और मां के निधन के बाद भी दिल्ली विश्वविद्यालय में अपनी अंतिम परीक्षा में टॉप किया।
लेडी श्रीराम कॉलेज से यूपीएससी टॉपर तक का सफर
किंजल ने दिल्ली के प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज से पढ़ाई की। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 2008 में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 25 वीं रैंक हासिल की। उनकी छोटी बहन प्रांजल सिंह ने भी इस परीक्षा में सफलता हासिल की और 252वीं रैंक के साथ भारतीय राजस्व सेवा में चयनित हुईं। किंजल और प्रांजल दोनों की सफलता ने यह साबित कर दिया कि परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर संकल्प मजबूत हो तो मंजिल जरूर मिलती है।
आईएएस और आईआरएस बनीं बहनें : पिता का सपना पूरा किया
किंजल सिंह ने न केवल आईएएस बनकर पिता का सपना पूरा किया बल्कि उन्हें न्याय दिलाने का संकल्प भी निभाया। 2013 में, यानी 31 साल बाद, सीबीआई की विशेष अदालत ने गोंडा फर्जी एनकाउंटर केस में सभी 18 आरोपियों को सजा सुनाई। यह फैसला उस मां और उसकी बेटियों की जीत थी, जिन्होंने अपने पति और पिता के लिए संघर्ष किया था। यह कहानी न केवल न्याय की मिसाल बनी, बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया कि सच्चाई और ईमानदारी के लिए लड़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती।
आज उत्तर प्रदेश की परिवहन आयुक्त : पारदर्शिता की नई पहचान
आईएएस किंजल सिंह ने अपने प्रशासनिक करियर में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं। वह लखीमपुर खीरी और सीतापुर की जिलाधिकारी रहीं, फिर मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की महानिदेशक नियुक्त हुईं। 23 सितंबर 2025 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के परिवहन आयुक्त का पदभार संभाला। पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने साफ संदेश दिया कि निष्ठा और ईमानदारी सर्वोपरि। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जनता को त्वरित, पारदर्शी और प्रभावी सेवाएं दें, सड़क सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें, डिजिटल सेवाओं को सरल बनाएं और भ्रष्टाचार के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति अपनाएं। उनका मानना है कि जनता का भरोसा जीतना ही विभाग की असली उपलब्धि है।
- संघर्ष गाथा पिता की फर्जी मुठभेड़ में हत्या के बाद 31 साल तक चला न्याय संग्राम।
- मां विभा सिंह ने बेटियों को अकेले पाला और न्याय की लड़ाई लड़ी।
- लेडी श्रीराम कॉलेज की छात्रा रहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय में टॉपर बनीं।
- 2008 में ऑल इंडिया 25 वीं रैंक के साथ आईएएस बनीं। छोटी बहन प्रांजल सिंह भी आईआरएस अधिकारी बनीं।
- 2013 में सीबीआई अदालत ने सभी 18 दोषियों को सजा सुनाई।
- लखीमपुर खीरी, सीतापुर की डीएम रहीं, मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की डीजी बनीं।
- सितंबर 2025 में उत्तर प्रदेश की परिवहन आयुक्त बनीं, पारदर्शिता और सड़क सुरक्षा पर फोकस।
- संघर्ष, ईमानदारी और न्याय की लड़ाई की मिसाल बन चुकीं किंजल सिंह आज युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं।