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परिवहन विभाग बनेगा उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा का सारथी,विकास पर मेरी नजर रहेगी पारखी – मुख्यमंत्री योगी

योगी आदित्यनाथ ने दयाशंकर के कार्यो की सराहना ,समय से पहुँच गए थे परिवहन मंत्री तो मुख्यमंत्री ने कसा तंज

  • भविष्य की दिशा शॉर्ट, मीडियम और लॉन्ग टर्म प्लानिंग पर जोर
  • संकट के समय भरोसेमंद साथी बना परिवहन विभाग
  • सड़क सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती, जन-जागरूकता से मिलेगा समाधान
  • मेडिकल फिटनेस टेस्ट से होगी बस चालकों की नियमित जांच
  • इलेक्ट्रिक बसें और नेट जीरो मिशन हरित विकास की ओर कदम
  • गांव-गांव कनेक्टिविटी से 3 लाख नए रोजगार की संभावना
  • आधुनिक बस स्टेशन और स्क्रैपिंग नीति से बदलेगी यात्रा संस्कृति
  • टीमवर्क, जवाबदेही और पारदर्शिता से विभाग बनेगा आदर्श

लखनऊ। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में परिवहन विभाग की नई सेवाओं के शुभारंभ और डिजिटल लोकार्पण के अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की परिवहन प्रणाली को भविष्य के भारत की विकास यात्रा का सारथी बताते हुए इसकी उपलब्धियों, चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के नेतृत्व की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग ने समय-समय पर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हुए खुद को प्रदेश की प्रगति और जनता की सुविधा का महत्वपूर्ण माध्यम साबित किया है। अब आवश्यकता है कि यह विभाग योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़े और विश्वस्तरीय सेवाएं देकर उत्तर प्रदेश को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाए।

 

परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को मिली बड़ी जिम्मेदारी, प्रदेश में आधुनिक और सुरक्षित परिवहन की रूपरेखा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान उस दिन विकास की नई दिशा का गवाह बना जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवहन विभाग की विभिन्न सेवाओं का शुभारंभ और डिजिटल लोकार्पण-शिलान्यास किया। मंच पर परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह मौजूद थे और पूरा माहौल इस बात का संकेत दे रहा था कि राज्य का यह विभाग अब केवल बसों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह प्रदेश की आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रगति का सारथी बनेगा। मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि जो समय की गति से पीछे चलता है, वह हमेशा पीछे रह जाता है। लेकिन जो समय की चाल से आगे चलता है, वही विजयश्री का ध्वज फहराता है।

भविष्य की राह योजनाओं का तीन स्तरीय खाका

मुख्यमंत्री योगी ने परिवहन विभाग को तीन स्तर की योजना बनाने का निर्देश दिया। शॉर्ट टर्म (3 वर्ष) : बस चालकों की मेडिकल जांच, डिजिटल टिकटिंग, बस स्टेशनों का सुधार, इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत। मीडियम टर्म (10 वर्ष) : हर जिले में आधुनिक बस स्टेशन, इलेक्ट्रिक चार्जिंग नेटवर्क, ग्रामीण-शहरी परिवहन का विस्तार। लॉन्ग टर्म (22 वर्ष) उत्तर प्रदेश को भारत का सबसे आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाला राज्य बनाना। योगी ने कहा कि फाइल लटकाने की आदत खत्म करनी होगी। टीम वर्क और पारदर्शिता ही परिणाम लाएगी।

कुंभ और कोरोना का अनुभव

परिवहन विभाग का इतिहास गवाह है कि जब भी संकट आया, इस विभाग ने जनता का भरोसा जीता।
प्रयागराज कुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं को सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचाना एक चुनौती थी। परिवहन विभाग ने रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर विशेष इंतजाम कर यह काम बखूबी किया। कोरोना काल 2020-21 में जब प्रवासी श्रमिक हजारों किलोमीटर पैदल लौट रहे थे, तब परिवहन विभाग ने लाखों श्रमिकों और कामगारों को बसों से सुरक्षित उनके घर पहुंचाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवहन विभाग ने हर संकट में साथी बनकर जनता का विश्वास जीता। यही परंपरा आगे भी जारी रखनी है।

सड़क सुरक्षा बड़ी चुनौती, बड़ी जिम्मेदारी

योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। हर साल सड़क हादसों में जितनी मौतें होती हैं, वे कोरोना जैसी महामारी से भी ज्यादा हैं। इन हादसों में अधिकांश युवा अपनी जान गंवाते हैं, जिससे परिवार उजड़ जाते हैं। सड़क पर हर व्यक्ति की सुरक्षा परिवहन विभाग की जिम्मेदारी है। यदि कोई यात्री सुरक्षित गंतव्य तक पहुंचता है तो विभाग की छवि मजबूत होती है। लेकिन लापरवाही से मौत होने पर पूरा सिस्टम कटघरे में खड़ा होता है।

बस चालकों की मेडिकल जांच अनिवार्य

मुख्यमंत्री ने आदेश दिए कि बस चालकों की हर 3 महीने में मेडिकल और फिटनेस जांच अनिवार्य हो। विशेष रूप से आंखों की जांच जरूरी है ताकि दृष्टि दोष से दुर्घटनाएं न हों। शराब पीकर गाड़ी चलाने, थकान या ओवरस्पीडिंग पर सख्ती हो। ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स को और मजबूत किया जाए। उन्होंने कहा कि सड़क पर अंदाज से गाड़ी चलाने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।

जागरूकता और शिक्षा सड़क सुरक्षा का आधार

योगी ने कहा कि सड़क सुरक्षा केवल विभाग की जिम्मेदारी नहीं है। इसके लिए पूरे समाज को जागरूक करना होगा। आईआईटी खड़गपुर जैसी संस्थाओं से तकनीकी सहयोग लिया जाए। पुलिस और परिवहन विभाग मिलकर दुर्घटना-प्रवण क्षेत्रों की पहचान करें। स्कूलों में ट्रैफिक शिक्षा अनिवार्य की जाए। हेलमेट, सीट बेल्ट, नशे में ड्राइविंग और ओवरस्पीडिंग पर सख्त अभियान चलाए जाएं। कानून कभी-कभी कठोर लगता है, लेकिन यही कानून जीवन की गारंटी है।

इलेक्ट्रिक बसें और हरित विकास

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेट ज़ीरो एमिशन लक्ष्य को दोहराते हुए कहा कि इसमें इलेक्ट्रिक बसें अहम होंगी। इलेक्ट्रिक बसें न केवल पर्यावरण को बचाएंगी, बल्कि यात्रियों को आधुनिक और आरामदायक यात्रा अनुभव देंगी। चार्जिंग स्टेशनों के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। शहर से लेकर गांव तक इलेक्ट्रिक बसें चलाने का लक्ष्य रखा गया है।

गांव-गांव कनेक्टिविटी रोजगार की नई राह

मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि परिवहन विभाग गांव-गांव तक बसें पहुंचाता है, तो प्रदेश में 3 लाख से अधिक रोजगार सृजित हो सकते हैं। बस चालकों, परिचालकों, तकनीशियनों, टिकटिंग स्टाफ, चार्जिंग स्टेशन कर्मचारियों की नई मांग पैदा होगी। ग्रामीण क्षेत्रों में बस टर्मिनल और छोटे-छोटे परिवहन केंद्र स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति देंगे। यह पहल आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में क्रांतिकारी होगी।

आधुनिक बस स्टेशन और स्क्रैपिंग नीति

मुख्यमंत्री ने कहा कि यात्रियों को विश्वस्तरीय सुविधाएं देना अब प्राथमिकता है। बस स्टेशन आधुनिक, स्वच्छ और सुरक्षित हों। अव्यवस्थित खड़ी बसों की समस्या खत्म हो। इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन हर बस अड्डे पर हों। पुराने वाहनों को स्क्रैपिंग नीति से हटाया जाए। स्क्रैपिंग नीति प्रदूषण और दुर्घटनाओं को कम करने में सहायक होगी।

टीमवर्क और पारदर्शिता से सफलता

योगी ने कहा कि परिवहन विभाग को अब जवाबदेही और पारदर्शिता के साथ काम करना होगा। फाइल लटकाने की परंपरा समाप्त करनी होगी। जनता की शिकायतों को प्राथमिकता से हल करना होगा। डिजिटल माध्यमों से सेवाएं पूरी तरह पारदर्शी बनानी होंगी। यदि टीमवर्क और ईमानदारी होगी, तो परिणाम स्वतः आएंगे। इस दौरान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, महापौर सुषमा खर्कवाल, विधायक जय देवी, अमरेश कुमार, ओपी श्रीवास्तव, योगेश शुक्ल, विधान परिषद सदस्य रामचंद्र प्रधान, प्रमुख सचिव परिवहन अमित गुप्ता, परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह और परिवहन निगम के एमडी मासूम अली सरवर समेत कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।

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