पीएम के संसदीय क्षेत्र में रोपवे के 815 करोड़ के बजट पर उठ रहे सवाल, वीडीए के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने तोड़ा भ्रांतियों का जाल

~ एशिया का पहला अर्बन रोपवे प्रोजेक्ट, मिलेगी आधुनिक परिवहन की सौगात
~ कैंट से गोदौलिया तक 3.8 किमी लंबा होगा रोपवे मार्ग
~ 96 हजार यात्री प्रतिदिन करेंगे सफर, लगेगा 150 गोंडोला
~ 815.58 करोड़ की लागत से बना, 15 साल का हुआ ओएंडएम
~ टिकट दरें होंगी किफायती, स्टेशन बनेंगे मल्टी स्टोरीड कमर्शियल स्पेस
~ पर्यटन, रोजगार और अर्थव्यवस्था को मिलेगा नया आयाम
वाराणसी। विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया में पीएम के संसदीय क्षेत्र काशी में रोपवे के भारी भरकम बजट 815 करोड़ पर सवाल उठाए जा रहे थे तमाम यूट्यूब चैनलों में खूब जम कर इसकी खिल्ली उड़ाई और कहा कि 4 किलोमीटर के लिये इतनी बड़ी धनराशि एक घोटाला सरीखा है यहां तक कि चंद्रयान भेजने का खर्चा भी इससे कम बताया।इन्ही सब भ्रांतियों को लेकर वाराणसी विकास प्राधिकरण ने रोपवे के प्रकरण पर भ्रांतियां दूर करने के लिये दिनांक 28 /09/2025 को अपने सभागार में एक प्रेस कांफ्रेंस के आयोजन किया ।प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने बताया कि काशी की संकरी गलियों और भीड़भाड़ वाली सड़कों से जूझती जनता को आधुनिक परिवहन का एक नया विकल्प मिलने जा रहा है। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्वतमाला प्रोजेक्ट के अंतर्गत एशिया का पहला अर्बन रोपवे प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो चला है। यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक 3.8 किलोमीटर की दूरी तय करेगा और इसमें पांच स्टेशन तथा 29 टावर बनाए जाएंगे। अत्याधुनिक तकनीक, सुरक्षा मानकों और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार यह रोपवे न केवल यातायात का दबाव कम करेगा, बल्कि पर्यटन, रोजगार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। साथ ही साथ वीडीए के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने पत्रकार वार्ता में देते हुए बताया कि यह प्रोजेक्ट वाराणसी के लिए केवल एक आधुनिक परिवहन साधन नहीं होगा, बल्कि यह शहर की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और रोजगार के क्षेत्र में नए अध्याय की शुरुआत करेगा। उन्होंने बताया कि नवीनतम तकनीक और उच्च गुणवत्ता वाले मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे यह प्रोजेक्ट लंबे समय तक टिकाऊ और सुरक्षित रहेगा।

प्रोजेक्ट की मूल रूपरेखा
यह रोपवे प्रोजेक्ट कैंट स्टेशन से गोदौलिया तक 3.8 किलोमीटर लंबे मार्ग पर बनाया जा रहा है। मार्ग में विद्यापीठ और रथयात्रा पर दो इंटरमीडिएट स्टेशन तथा गिरजाघर पर एक टेक्निकल स्टेशन होगा। इस प्रकार कुल पांच स्टेशन और 29 टावर बनाए जाएंगे। इस परियोजना की अनुमानित लागत 815.58 करोड़ रुपये है, जिसमें 15 वर्षों का ऑपरेशन और मेंटेनेंस (ओएंडएम) भी शामिल है।
क्षमता और संचालन
रोपवे की डिजाइन क्षमता 3000 पीपीएचपीडी (पीपल पर ऑवर पर डायरेक्शन) है। इसका अर्थ है कि 16 घंटे के दैनिक संचालन में लगभग 96,000 यात्री इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। इसके लिए कुल 150 अत्याधुनिक गोंडोला लगाए जाएंगे। तुलना की जाए तो यह क्षमता भारत के सबसे बड़े गुलमर्ग रोपवे से लगभग ढाई गुना अधिक है। यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बड़े डायामीटर की रोप्स, हाई पावर ड्राइव्स, स्टैंडबाई सिस्टम्स, बड़े टर्मिनल्स, एडवांस्ड कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम्स का इस्तेमाल किया जाएगा। साथ ही, इमरजेंसी के दौरान यात्रियों की सुरक्षित निकासी के लिए एडवांस्ड रेस्क्यू मैकेनिज्म उपलब्ध रहेगा।
आर्थिक दृष्टि से लाभकारी
यह रोपवे प्रोजेक्ट केवल एक परिवहन साधन तक सीमित नहीं रहेगा। इसकी टिकट दरें आम जनता के लिए किफायती रखी जाएंगी। परियोजना को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्टेशनों को केवल ट्रांजिट प्वाइंट न बनाकर मल्टी स्टोरीड कमर्शियल स्पेस, बजट होटल्स और ऑफिस स्पेस के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। इस उद्देश्य से लगभग 2 लाख वर्ग फीट का निर्माण होगा। इससे न केवल रोपवे को अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। छोटे व्यापारियों से लेकर होटल इंडस्ट्री और सेवा क्षेत्र तक सभी को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।
सुरक्षा और तकनीकी मानक
रोपवे परियोजना में यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसके लिए एडवांस्ड कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा, जहाँ से चौबीसों घंटे सभी गतिविधियों और सुरक्षा मानकों की मॉनिटरिंग होगी।
- इमरजेंसी की स्थिति में तीन लेयर ऑफ सेफ्टी की व्यवस्था की गई है।
- गोंडोला स्वचालित रूप से नजदीकी स्टेशन तक पहुंच जाएगा।
- हर समय ऑक्सिलरी मोटर्स और डीजी सेट उपलब्ध रहेंगे।
- प्रशिक्षित दल और क्रेन्स की मदद से वर्टिकल रेस्क्यू की सुविधा होगी।
- गोंडोला बाहर से खोले जा सकेंगे।
इसके अलावा, चार स्तर का सेफ्टी सर्टिफिकेशन अनिवार्य किया गया है कन्सेशनैयर, सेफ्टी कंसल्टेंट, इंडिपेंडेंट इंजीनियर और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नामित रोपवे इंस्पेक्टर।
चुनौतीपूर्ण इंजीनियरिंग
वाराणसी के घनी आबादी वाले अर्बन एरिया से होकर गुजरने वाला यह रोपवे इंजीनियरिंग दृष्टि से बेहद चुनौतीपूर्ण है। यह मौजूदा इमारतों के ऊपर से गुजरेगा, इसलिए टावरों की ऊंचाई सामान्य से कहीं अधिक रखनी पड़ी।
- सबसे ऊंचा टावर 160 फीट का बनाया गया है।
- टावरों की नींव 80 फीट गहरी होगी।
- गंगा के मैदानी क्षेत्र में होने के कारण स्टेशनों में पाइल फाउंडेशन लगभग 100 फीट गहरे बनाए जा रहे हैं।
- कैंट स्टेशन पर लगभग 500 पाइल्स और अन्य स्टेशनों पर 300 से अधिक पाइल्स तैयार किए जाएंगे।
- रथयात्रा से गोदौलिया मोड़ पर तेज टर्निंग के कारण गिरजाघर स्टेशन बनाना तकनीकी दृष्टि से आवश्यक हुआ।
ओएंडएम की रूपरेखा
इस प्रोजेक्ट की खासियत यह है कि इसमें 15 वर्षों का ऑपरेशन और मेंटेनेंस शामिल है। इसमें ऑपरेशन, बिजली, जेनसेट, मैनपावर, स्टेशन सिक्योरिटी, सफाई व्यवस्था और उपकरणों की मरम्मत आदि की लागत शामिल होगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि रोपवे निरंतर सुरक्षित और सुचारू रूप से चलता रहे।
फिजिबिलिटी स्टडी और चयन
रोपवे शुरू करने से पहले मेट्रो और अन्य परिवहन विकल्पों की तुलना में कई तकनीकी संस्थानों द्वारा फिजिबिलिटी स्टडी कराई गई। अध्ययन में पाया गया कि वाराणसी की जटिल शहरी परिस्थितियों में रोपवे सबसे उपयुक्त और किफायती विकल्प है। तंग गलियां और ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए मेट्रो का निर्माण कठिन और महंगा साबित होता, जबकि रोपवे अपेक्षाकृत आसान, सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है।
पर्यटन और रोजगार में वृद्धि
काशी को पर्यटन की राजधानी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। देश-विदेश से लाखों पर्यटक प्रतिवर्ष यहाँ आते हैं। लेकिन यातायात जाम उनके अनुभव को बिगाड़ देता है। रोपवे परियोजना से न केवल उनके आवागमन में आसानी होगी, बल्कि शहर की खूबसूरती को भी वे ऊंचाई से निहार सकेंगे। इसके साथ ही स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। चाहे वह स्टेशन संचालन हो, सुरक्षा, सफाई, होटल इंडस्ट्री या व्यावसायिक गतिविधियां, हर क्षेत्र में नई नौकरियां सृजित होंगी। रोपवे प्रोजेक्ट काशी की आत्मा को संजोते हुए आधुनिकता की ओर एक बड़ा कदम है। यह न केवल शहरवासियों को भीड़भाड़ और जाम से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि वाराणसी को विश्व पटल पर एक नई पहचान भी दिलाएगा। आने वाले समय में जब गोंडोलों में बैठकर यात्री घाटों और मंदिरों के ऊपर से गुजरेंगे तो उन्हें काशी का नया और भव्य रूप देखने को मिलेगा।
- कैंट से गोदौलिया तक 3.8 किमी लंबा मार्ग
- 5 स्टेशन और 29 टावर का निर्माण
- 96,000 यात्रियों की प्रतिदिन क्षमता
- 815.58 करोड़ की लागत, 15 साल का ओएंडएम शामिल
- 150 अत्याधुनिक गोंडोला लगेंगे
- स्टेशनों पर मल्टी स्टोरीड कॉमर्शियल स्पेस, होटल व ऑफिस की सुविधा
- टिकट दरें आम जनता के लिए किफायती
- चार स्तर का सेफ्टी सर्टिफिकेशन अनिवार्य
- 160 फीट ऊंचे टावर, 100 फीट गहरी पाइल फाउंडेशन
- पर्यटन, रोजगार और अर्थव्यवस्था को मिलेगा प्रोत्साहन