बाराबंकी लाठीचार्च के बहाने प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद पर निशाने, निंदनीय है आलोचकों के फ़साने

- योगी सरकार का संकल्प छात्र हित और कानून व्यवस्था दोनों सुरक्षित
- छात्रों की आवाज पर योगी सरकार का त्वरित संज्ञान,दोषी पुलिसकर्मियों का हुआ निलंबन
- श्री रामस्वरूप यूनिवर्सिटी के अवैध निर्माण पर चला बाबा का बुलडोजर
- प्रमुख सचिव ( गृह ) संजय प्रसाद ने तुरंत ली पूरी रिपोर्ट
- कानून व्यवस्था में योगी मॉडल निष्पक्ष और सख्त रवैया
- लोकतांत्रिक अधिकार सुरक्षित, लाठीचार्च की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण
- पक्ष-विपक्ष दोनों के लिए निष्पक्षता का संदेश
- मुख्यमंत्री के निर्देश से प्रशासन हुआ सक्रिय

छात्र-हित और कानून व्यवस्था का संतुलन बना रही योगी सरकार
बाराबंकी : लाठीचार्च – ये एक ऐसा शब्द है जिसका नाम आते ही अंग्रेजी शासन की याद आ जाती है कि कैसे अंग्रेजो के इशारे पर निर्दोष क्रांतिकारियों पर पुलिस लाठियां बरसाती थी।छात्र राजनीति ही राजनीति में प्रवेश की पहली सीढ़ी मानी जाती है। श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में एलएलबी की मान्यता को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन और उस पर पुलिस लाठीचार्ज की घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति को हिला दिया। अचानक हुए लाठीचार्ज से छात्र घायल हुए, तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए और विपक्ष को सरकार पर हमले का अवसर मिल गया। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बाद जिस तरह से प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद को घेरने का प्रयास किया गया वह बेहद निंदनीय है , यही नही संजय प्रसाद के बहाने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी निशाने साधे गए जो कि सर्वथा अनुचित है। संवेदनशीलता के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लिया तथा प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने पूरी स्थिति की समीक्षा कर विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी, उसके बाद दोषी पुलिसकर्मियों के ऊपर कड़ी कार्यवाही की गई उससे यह साबित होता है कि इस अनैतिक लाठीचार्च पर योगी सरकार बेहद गम्भीर है। योगी सरकार ने यह दिखा दिया कि वह न तो किसी छात्र की आवाज़ को दबाना चाहती है और न ही कानून व्यवस्था से कोई समझौता करने को तैयार है। यही संतुलन उत्तर प्रदेश के ‘योगी मॉडल’ की पहचान बन चुका है।


* श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में एलएलबी मान्यता विवाद पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं का विरोध प्रदर्शन।
* पुलिस लाठीचार्ज से 19 छात्र चोटिल हुए, अस्पताल में भर्ती।
* विपक्ष ने घटना को लोकतंत्र पर हमला बताया, पर सरकार ने त्वरित कार्रवाई कर माहौल शांत किया।
* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उच्चाधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की।
* मुख्य सचिव संजय प्रसाद ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन देते हुए प्रशासन को फटकार लगाई।
* सरकार का रुख शांति पूर्ण धरना-प्रदर्शन पर रोक नहीं, लेकिन हिंसा या कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं।
* घटना की समीक्षा के बाद दोषी पुलिसकर्मियों की भूमिका पर भी नजर, अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ होगी कार्रवाई।
* लोकतंत्र में आवाज उठाना अधिकार है, लेकिन कानून का पालन हर हाल में अनिवार्य।
* पक्ष-विपक्ष दोनों को साफ संदेश कानून सबके लिए समान।
लाठीचार्च की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है वो भी निरीह छात्रों पर तो नाकाबिले बर्दाश्त है लेकिन लाठीचार्च के बहाने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सजंय प्रसाद पर उंगली उठाना बेहद घटियापन है साथ ही साथ मुख्यमंत्री पर भी जो मिथ्या आरोप लगाए जा रहे है वो भी बेहद निंदनीय है। ये भी कटु सत्य है कि योगी जी कृपा पर चलने वाले लोग भी पीठ पीछे योगी पर वार करने से नही चूक रहे है। ‘सुरेश बहादुर सिंह वरिष्ठ पत्रकार”
श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी, जो राजधानी लखनऊ के समीप स्थापित एक प्रतिष्ठित निजी शैक्षणिक संस्थान है, पिछले कई महीनों से विवादों में रहा है। विवाद का कारण था विश्वविद्यालय में चल रहे एलएलबी पाठ्यक्रम की मान्यता। एलएलबी यानी बैचलर ऑफ लॉ, भारतीय न्याय व्यवस्था से जुड़ी एक महत्वपूर्ण डिग्री है। इसके बिना किसी भी छात्र का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता। लेकिन छात्रों का आरोप था कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर मान्यता के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा नहीं किया, जिसके चलते उनके करियर पर संकट खड़ा हो गया। इसी को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता और विश्वविद्यालय में पढ़ रहे एलएलबी छात्र एकजुट होकर विरोध-प्रदर्शन पर उतर आए। विश्वविद्यालय के बाहर बड़ी संख्या में छात्र धरने पर बैठ गए और प्रशासन से न्याय की मांग करने लगे। शुरुआत में यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा। छात्र केवल नारेबाजी कर रहे थे और विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब मांग रहे थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, भीड़ बढ़ती गई और सड़क पर जाम की स्थिति बनने लगी। स्थानीय प्रशासन ने जब प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश की तो माहौल गरमा गया। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को आगे आना पड़ा। यहीं से घटनाक्रम ने गंभीर रूप धारण कर लिया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले हल्का बल प्रयोग किया, लेकिन जब प्रदर्शनकारी नहीं हटे तो लाठीचार्ज करना पड़ा। इस लाठीचार्ज से भगदड़ मच गई। कई छात्र जमीन पर गिर पड़े, कुछ को चोटें आईं और लगभग 19 छात्र गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल पहुंचाए गए। अस्पताल प्रशासन ने उनकी स्थिति स्थिर बताई, लेकिन सोशल मीडिया पर फैली तस्वीरों और वीडियो ने आग में घी का काम किया। लाठीचार्ज की तस्वीरें देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पुलिस छात्रों पर नहीं, बल्कि किसी बड़े अपराधी या आतंकवादी गिरोह पर कार्रवाई कर रही हो। यही कारण था कि विपक्षी दलों ने इसे ‘अत्याचार’ करार दिया और अंग्रेजी शासन की याद दिलाई।
राजनीतिक हलचल और बयानबाजी
घटना के कुछ ही घंटों के भीतर यह मुद्दा राजनीतिक गलियारों में गूंजने लगा। विपक्षी दलों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि योगी सरकार छात्रों की आवाज को दबा रही है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध करना छात्रों का अधिकार है और उन पर लाठीचार्ज करना लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान है। पुलिस की कार्रवाई को ‘अत्यंत निंदनीय’ बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में हर नागरिक को शांति पूर्ण ढंग से अपनी बात रखने का अधिकार है। छात्रों पर इस तरह की कार्रवाई अंग्रेजी शासन की याद दिलाती है। हालांकि भाजपा और सरकार समर्थक नेताओं ने विपक्ष के इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। उनका कहना था कि छात्र अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन जब कोई आंदोलन सार्वजनिक व्यवस्था को प्रभावित करने लगे तो प्रशासन को कार्रवाई करनी ही पड़ती है। दरअसल, विपक्ष ने इस मुद्दे को बड़ा बनाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी सरकार की छवि पर हमला करना चाहा। लेकिन सरकार ने जिस त्वरित गति से प्रतिक्रिया दी, उसने विपक्ष की रणनीति को कमजोर कर दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का लिया संज्ञान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक जैसे ही इस घटना की सूचना पहुंची, उन्होंने बिना देरी किए उच्च अधिकारियों को बुलाया और पूरी जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि लोकतंत्र में किसी भी नागरिक की आवाज को दबाना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच हो और यह देखा जाए कि क्या वाकई पुलिस ने आवश्यकता से अधिक बल प्रयोग किया। अगर कहीं भी पुलिसकर्मियों की ओर से अति हुई है, तो उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। योगी आदित्यनाथ का यह रुख महत्वपूर्ण था क्योंकि अक्सर ऐसी घटनाओं में सरकारें पुलिस का बचाव करने लगती हैं। लेकिन योगी ने साफ किया कि उनकी सरकार केवल निष्पक्षता में विश्वास करती है। यही कारण है कि उन्होंने प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को त्वरित समीक्षा का निर्देश दिया। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि छात्रों के भविष्य से कोई समझौता नहीं होगा। अगर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से कोई चूक हुई है, तो उसे भी तुरंत सुधारा जाएगा।
प्रमुख सचिव संजय प्रसाद की निर्णायक भूमिका
मुख्य सचिव संजय प्रसाद ने मुख्यमंत्री का निर्देश मिलते ही सक्रियता दिखाते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन, जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उन्होंने घटनास्थल की तस्वीरें, वीडियो और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान मंगवाए ताकि कोई भी तथ्य छूट न जाए। संजय प्रसाद ने यह भी सुनिश्चित किया कि घायल छात्रों का तत्काल और बेहतर इलाज हो तथा उनकी देखरेख में किसी तरह की कमी न रहे। उनकी सख्ती का नतीजा यह हुआ कि अफसर तुरंत हरकत में आ गए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी मान्यता से जुड़े दस्तावेज और प्रक्रियाओं की स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की। संजय प्रसाद ने अपनी रिपोर्ट में यह साफ किया कि सरकार छात्रों के साथ खड़ी है। उन्होंने मुख्यमंत्री को आश्वस्त किया कि छात्रों की डिग्री सुरक्षित रहेगी और उनके भविष्य को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।
लोकतांत्रिक अधिकार और जिम्मेदारी
भारतीय संविधान हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। छात्र आंदोलन लोकतंत्र की धड़कन होते हैं। लेकिन किसी भी अधिकार के साथ जिम्मेदारी भी जुड़ी होती है। प्रदर्शन तब तक लोकतांत्रिक है जब तक वह शांतिपूर्ण और अनुशासित हो। जैसे ही यह सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करता है, वह दूसरों के अधिकारों पर आक्रमण करने लगता है। योगी सरकार ने इस घटना के बाद यह स्पष्ट संदेश दिया कि शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन पर कोई रोक नहीं है। लेकिन कानून हाथ में लेने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी।
अंग्रेजी हुकूमत जैसी छवि तोड़ने का प्रयास
कुछ विपक्षी नेताओं ने पुलिस की कार्रवाई को अंग्रेजी हुकूमत के लाठीचार्ज से तुलना की। लेकिन सरकार ने तुरंत ही यह छवि तोड़ने का काम किया। मुख्यमंत्री और प्रमुख सचिव गृह सजंय की तत्परता से यह साफ हुआ कि यह ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ वाली पुलिसिंग नहीं है। यह लोकतांत्रिक शासन है, जहां छात्रों की आवाज सुनी जाती है और किसी भी तरह की अति पर जवाबदेही तय होती है।
पक्ष-विपक्ष के लिए समान संदेश
योगी सरकार की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वह कानून के सामने किसी को विशेष दर्जा नहीं देती। चाहे प्रदर्शनकारी एबीवीपी के छात्र हों, या विपक्षी दलों के समर्थक कानून सब पर समान रूप से लागू होता है। यह संदेश विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों के लिए समान था। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि योगी सरकार में पुलिस और प्रशासन केवल निष्पक्ष कानून व्यवस्था लागू करने के लिए काम करते हैं, किसी दल विशेष के लिए नहीं।
योगी मॉडल की साख
बीते वर्षों में योगी सरकार ने अपराध नियंत्रण, कानून व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता के क्षेत्र में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वह आज देश भर में चर्चा का विषय हैं। इस घटना में भी वही मॉडल दिखाई दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रमुख सचिव संजय प्रसाद की जोड़ी ने दिखा दिया कि सरकार छात्र हितों की भी रक्षक है और कानून व्यवस्था की भी गारंटर। श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में हुए लाठीचार्ज की घटना ने जहां विपक्ष को हमले का मौका दिया, योगी सरकार ने यूनिवर्सिटी के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलवाकर यह साबित किया कि सरकार छात्रों के साथ खड़ी है सरकार ने यह साबित कर दिया कि वह लोकतंत्र की रक्षक है, छात्र हितों की संरक्षक है और कानून व्यवस्था की सख्त पहरेदार भी। यही है ‘योगी मॉडल ऑफ गवर्नेंस’।