वाराणसी

सीपी मोहित अग्रवाल ने जारी किया नई गाइडलाइन का फरमान, पुलिसकर्मियों को रखना होगा इसका ध्यान

‘किरकिरी’ के बाद नींद से जागी वाराणसी पुलिस, सीपी ने जारी की नई गाइडलाइंस, चेकिंग में बत्तमीजी बर्दाश्त नहीं!

~ भेलूपुर प्रकरण बना टर्निंग प्वाइंट, अधिवक्ता पिटाई ने हिलाया महकमा

~ सीपी मोहित अग्रवाल का सख्त निर्देश जनता से सम्मानजनक व्यवहार करें

~ अब केवल मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ही कार्रवाई, मनमानी पर लगाम

~ संदिग्धों पर फोकस बिना नंबर प्लेट, तीन सवारी और नकाबपोश होंगे टारगेट

~ परिवार वालों से चेकिंग में संवेदनशीलता बरतने की अपील

~ पुलिस की छवि बचाना बड़ी चुनौती, जनता के भरोसे की कसौटी

 

आशुतोष शर्मा

 

वाराणसी। थानों और चेकिंग प्वाइंट्स पर पुलिसकर्मियों के बेलगाम व्यवहार ने आखिरकार पुलिस आयुक्तालय को ‘चेता’ दिया। भेलूपुर क्षेत्र में एक अधिवक्ता से चेकिंग के दौरान मारपीट की घटना ने पूरे महकमे की छवि पर दाग लगा दिया। चौतरफा किरकिरी के बाद पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने अब नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने साफ कह दिया कि आमजन से अभद्रता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं होगी और वाहन चेकिंग अब केवल कानून के दायरे में रहकर होगी।

भेलूपुर प्रकरण से शुरू हुई ‘किरकिरी’

वाराणसी पुलिस लंबे समय से नागरिकों के साथ अपने कठोर व्यवहार को लेकर कटघरे में खड़ी रही है। लेकिन हालिया घटना ने हालात को और बिगाड़ दिया। भेलूपुर थाना क्षेत्र में यातायात चेकिंग के दौरान एक अधिवक्ता से पुलिसकर्मियों ने न केवल अभद्रता की बल्कि हाथापाई भी की। यह मामला जब सोशल मीडिया से लेकर अदालत की चौखट तक पहुँचा, तो पुलिस की छवि पर सवालों की बौछार शुरू हो गई। यह वही क्षण था जिसने पुलिस आयुक्तालय को मजबूर किया कि वह ‘किरकिरी’ से सबक ले और जनपक्षधरता दिखाने की कोशिश करे।

सीपी का सख्त संदेश आचरण से बनती-बिगड़ती है पुलिस की छवि

पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने इस पूरे प्रकरण पर गंभीर रुख अपनाया है। उन्होंने थाना प्रभारियों और यातायात निरीक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे अपने अधीनस्थों को कड़ा ब्रीफ करें। उनका कहना है कि पुलिसकर्मी का व्यवहार ही विभाग की सबसे बड़ी पहचान है। एक गलत हरकत पूरे पुलिस महकमे को कटघरे में खड़ा कर देती है।

जनता से जुड़ाव ही पुलिसिंग का आधार

मोहित अग्रवाल ने अपने निर्देशों में कहा कि पुलिस की जिम्मेदारी केवल कानून लागू करना नहीं, बल्कि जनता का विश्वास अर्जित करना भी है। अगर लोग पुलिस को डर और उत्पीड़न के प्रतीक के रूप में देखेंगे तो कानून-व्यवस्था की जड़ें खोखली होंगी। उन्होंने दोहराया कि चेकिंग के दौरान किसी भी नागरिक के साथ अभद्रता नहीं होनी चाहिए।

मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ही कार्रवाई

नए दिशा-निर्देशों के अनुसार यातायात नियम तोड़ने वालों पर केवल मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ही चालान या दंड की कार्रवाई होगी। अब तक पुलिसकर्मियों पर आरोप लगता रहा है कि वे नियमों की आड़ में वसूली और मनमानी करते हैं। लेकिन सीपी ने साफ कर दिया कि अब कोई अतिरिक्त या गैर-कानूनी दबाव नहीं बनाया जाएगा।

संदिग्धों पर फोकस सामान्य जनता पर नहीं

निर्देशों के मुताबिक पुलिस अब सामान्य यात्रियों को बेवजह परेशान नहीं करेगी। वाहन चेकिंग का फोकस संदिग्ध व्यक्तियों और गतिविधियों पर रहेगा। बिना नंबर प्लेट वाले वाहन तीन सवारी करने वाले युवक, मुंह पर कपड़ा बांधकर या हेलमेट से चेहरा छिपाकर चलने वाले
ऐसे मामलों में भी कार्रवाई कानूनसम्मत और शालीन तरीके से होगी।

परिवार वालों से संवेदनशील व्यवहार

सीपी ने विशेष निर्देश दिया है कि यदि कोई व्यक्ति परिवार सहित यात्रा कर रहा है, तो उसके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाए। इस तरह की संवेदनशीलता न केवल पुलिस की छवि सुधारने में मदद करेगी, बल्कि नागरिकों को यह संदेश भी देगी कि पुलिस ‘जनसेवक’ है, न कि ‘तानाशाह’।

बार-बार क्यों दोहराने पड़ रहे निर्देश

यह पहला मौका नहीं है जब पुलिस आयुक्त या डीजीपी स्तर से इस तरह के आदेश जारी हुए हों। सवाल यह है कि जमीनी स्तर पर इनका असर क्यों नहीं दिखता? विशेषज्ञों का कहना है कि पुलिस व्यवस्था में जवाबदेही की कमी और ‘छूट’ की संस्कृति ने ऐसी घटनाओं को जन्म दिया है। जब तक दोषी पुलिसकर्मी पर कड़ी कार्रवाई नहीं होगी, तब तक केवल आदेश पुस्तिका तक ही सीमित रह जाएंगे।

वकीलों से टकराव पुरानी तनातनी का परिणाम

वाराणसी समेत यूपी के कई जिलों में वकीलों और पुलिस के बीच खींचतान पुरानी है। हालिया भेलूपुर की घटना इसी अविश्वास की परिणति मानी जा रही है। वकीलों ने इसे ‘पुलिस की गुंडागर्दी’ करार दिया, वहीं पुलिस ने अपनी कार्रवाई को ‘कानून सम्मत’ बताया। लेकिन जनभावना पुलिस के खिलाफ गई। यही कारण है कि इस बार सीपी को सख्ती से मैदान में उतरना पड़ा।

पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती जन विश्वास

कानून व्यवस्था बनाए रखना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है जनता का भरोसा कायम रखना। एक पुलिसकर्मी अगर सड़क पर सम्मानपूर्वक व्यवहार करता है तो पुलिस की छवि मजबूत होती है। लेकिन अपमानजनक व्यवहार से पूरा महकमा कटघरे में आ जाता है। यही वह चुनौती है जिससे निपटना पुलिस आयुक्तालय के लिए सबसे अहम है।

  • भेलूपुर क्षेत्र में अधिवक्ता पिटाई प्रकरण से पुलिस की छवि धूमिल
  • पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने जारी किए सख्त दिशा-निर्देश
  • जनता से दुर्व्यवहार पर लगेगी रोक, केवल कानून सम्मत कार्रवाई होगी
  • संदिग्ध वाहनों और व्यक्तियों पर फोकस रहेगा, आमजन पर नहीं
  • परिवार के साथ यात्रा करने वालों से संवेदनशील और सम्मानजनक व्यवहार का आदेश
  • पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती जनता का भरोसा दोबारा पाना

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button