वाराणसीNews

पुलकित गर्ग की अमृताशा हॉस्पिटल को एनओसी देने की मनाही, स्वीकृत मानचित्र के विपरीत अस्पताल प्रबंधन ने निर्माण कराई

अमृताशा हॉस्पिटल पर वीडीए की जांच में नक्शे से खिलवाड़, पार्किंग गायब, एनओसी पर लगी रोक

 

~ भरलाई शिवपुर स्थित अस्पताल के निरीक्षण में खुली गड़बड़ियों की परतें

~ वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग की टीम ने की स्थलीय जांच, पाया मानचित्र से अलग निर्माण

~ पार्किंग के अभाव में आयुष्मान भारत योजना के तहत एनओसी देने से इनकार

~ बिना पूर्ण नक्शा अनुपालन के कैसे चल रहा था अस्पताल

~ प्रशासन की सतर्कता से उजागर हुई अनियमितता

 

◆ अमित मौर्य

 

वाराणसी। शिवपुर क्षेत्र में तेजी से उभर रहे निजी अस्पतालों के बीच अमृताशा हॉस्पिटल एवं ट्रामा सेंटर, भरलाई प्रशासनिक निगरानी के घेरे में आ गया है। अपर नगर मजिस्ट्रेट (प्रथम) द्वारा भेजे गए पत्र के आधार पर वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अस्पताल परिसर का स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण का उद्देश्य था कि क्या अस्पताल आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल होने योग्य है, और उसे एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) दिया जा सकता है या नहीं।लेकिन जब वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग की अध्यक्षता में गठित संयुक्त टीम मौके पर पहुंची, तो तस्वीर वह नहीं थी जो अस्पताल प्रबंधन ने कागजों में दिखाई थी। स्थल पर पाए गए निर्माण कार्य, मानचित्र से मेल नहीं खाते थे। 66 कार पार्किंग की स्वीकृति थी, लेकिन मिलीं केवल 32। यानी आधे से भी कम स्थान पर पार्किंग का इंतज़ाम, बाकी हिस्से का उपयोग व्यावसायिक निर्माण के रूप में।

नक्शे का उल्लंघन और पार्किंग की कहानी गायब

वीडीए की संयुक्त टीम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि अस्पताल में पूर्व स्वीकृत मानचित्र के अनुरूप निर्माण कार्य नहीं कराया गया है। वीडीए द्वारा स्वीकृत मानचित्र में स्पष्ट रूप से 66 कार पार्किंग और एक एंबुलेंस पार्किंग का प्रावधान था। लेकिन मौके पर सिर्फ 32 कार पार्किंग और एक एंबुलेंस पार्किंग ही बनी पाई गई। शेष स्थान पर अस्पताल के अतिरिक्त निर्माण और दीवार बंदी दिखाई दी जो साफ तौर पर नियमों का उल्लंघन है। देखने से ऐसा लग रहा था कि अस्पताल प्रबंधन ने जानबूझकर व्यावसायिक लाभ के लिए पार्किंग क्षेत्र को इमारती ढांचे में बदल दिया है।

एनओसी पर रोक आयुष्मान योजना की पात्रता खतरे में

निरीक्षण के बाद स्पष्ट रूप से यह निष्कर्ष निकला कि
अस्पताल को एनओसी दिया जाना संभव नहीं है। पार्किंग स्थल की अनुपलब्धता और निर्माण में अनियमितताओं के कारण आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत इंपेनलमेंट प्रक्रिया रोक दी गई। आयुष्मान भारत योजना का मकसद गरीब और जरूरतमंद मरीजों को सस्ती और गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा देना है। लेकिन अस्पताल ही निर्माण और सुरक्षा मानकों की अवहेलना करे, तो योजना की भावना पर ही आघात होता है। वीडीए की रिपोर्ट ने साफ किया कि ‘सुरक्षा, पार्किंग और नक्शा अनुपालन’ जैसे मूलभूत मानक पूरे न होने पर कोई भी संस्थान एनओसी का अधिकारी नहीं हो सकता।

बिना पूर्ण अनुपालन के चल कैसे रहा था अस्पताल?

अब यह मुद्दा केवल एनओसी तक सीमित नहीं रहा।
बड़ा सवाल यह है कि अमृताशा हॉस्पिटल वर्षों से संचालित कैसे हो रहा था, जबकि उसके निर्माण में नियमों की अनदेखी हो रही थी। स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम ने कभी इस दिशा में जांच क्यों नहीं की।स्थानीय स्तर पर किसी अधिकारी की ‘नजरें बंद’ थीं, या ‘मौन इजाजत’ की नीति चल रही थी। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल पहले से ही सीमित पार्किंग और अत्यधिक भीड़ के चलते ट्रैफिक जाम की समस्या पैदा करता रहा है। स्थानीय निवासियों ने कई बार शिकायतें भी की कि आपातकालीन स्थिति में एम्बुलेंस तक अस्पताल परिसर में घुसने में दिक्कत होती है।

वीडीए की टीम की कार्यवाही पारदर्शिता का संदेश

वाराणसी विकास प्राधिकरण की संयुक्त टीम द्वारा की गई यह जांच कई मायनों में उदाहरण पेश करती है।
अक्सर देखा गया है कि निजी अस्पतालों को राजनैतिक या प्रशासनिक प्रभाव के कारण नियमों से छूट मिल जाती है। लेकिन इस बार वीडीए ने नक्शा अनुपालन को प्राथमिकता बनाकर स्पष्ट संदेश दिया है कि जनहित सर्वोपरि है, और नियमों से ऊपर कोई नहीं। टीम की रिपोर्ट में न केवल निर्माण उल्लंघन का उल्लेख किया गया, बल्कि यह भी कहा गया कि पार्किंग स्थल का आंशिक उपयोग अस्पताल की क्षमता और आपातकालीन सेवाओं की दक्षता को प्रभावित करता है। अगर इस अस्पताल को अनुमति दी जाती, तो यह भविष्य में मरीजों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता था।

जनहित में कार्रवाई जरूरी

स्थानीय सामाजिक संगठनों और व्यापारिक संगठनों ने भी इस निरीक्षण रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
दीक्षा महिला कल्याण शोध संस्थान की अध्यक्ष संतोषी शुक्ला ने कहा कि यह अच्छा हुआ कि वीडीए ने सच्चाई सामने लाई। स्वास्थ्य सेवाएं मुनाफे का धंधा नहीं बननी चाहिए। अगर अस्पताल ने नक्शा तोड़ा है, तो उसे सुधार करना चाहिए, वरना कार्रवाई हो। वहीं क्षेत्र के कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि अगर प्रशासन सख्त निगरानी रखे, तो ऐसे दर्जनों अस्पतालों की पोल खुल सकती है जो आज भी मानचित्रों और सुरक्षा मानकों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

  • अपर नगर मजिस्ट्रेट (प्रथम) के पत्र पर हुआ निरीक्षण
  • वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग की अध्यक्षता में गठित संयुक्त टीम ने की जांच
  • अस्पताल ने नक्शे से अलग निर्माण किया, स्वीकृत 66 पार्किंग में से केवल 32 निर्मित
  • पार्किंग स्थल के अभाव में आयुष्मान भारत योजना हेतु एनओसी देने से इनकार
  • अस्पताल का संचालन पहले से जारी, लेकिन नियम अनुपालन पर सवाल
  • स्थानीय जनता और संगठनों ने कार्रवाई की मांग की
  • प्राधिकरण का संदेश जनहित सर्वोपरि, नियमों से कोई ऊपर नहीं

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button