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अवैध अदिति गेस्ट हाउस चल रहा गर्म गोश्त का घिनौना कारोबार, पिंडरा विधायक अवधेश सिंह का भतीजा कथित तौर पर जिम्मेदार ?

अचूक संघर्ष

~ पिस्टल, पोज़, पावर और पुलिस की चुप्पी

~ गौरव सिंह ‘पिन्चू’ के रसूख की अनकही कहानी

~ ‘रील’ में पिस्टल लहराई, लेकिन एफआईआर नहीं क्या पिन्चू कानून से बड़ा है

~ आशा फिल्म प्रोडक्शन का पंजीकरण, अब तक एक भी फिल्म रिलीज नहीं प्रोडक्शन या पर्दा

~ प्लास्टिक की रिवाल्वर पर आम आदमी पर केस, पर पिन्चू पर सन्नाटा क्यों

~ सरकारी कर्मचारी होकर आज तक ऑफिस नहीं गया क्या नौकरी सिर्फ तनख्वाह के लिए!

~ पत्नी और भाई भी सरकारी कर्मचारी, पूरा परिवार “सेवा” में है या सिस्टम में

~ ग्रीनटेक घोटाले में करोड़ों की ठगी, मगर अब भी कब्जे में नहीं लिया गया भवन!

~ उसी भवन में चल रहा ‘बनारसिया’ रेस्टोरेंट और तीसरी मंजिल पर ‘हुक्का बार’

~ विक्की गिरी पर पहले हुई थी कार्रवाई, अब फिर उसी के साथ मिलकर खुला ‘नया अड्डा’

 

 

वाराणसी। काशी, जहां धर्म है, परंपरा है, चेतना है और कानून भी है। लेकिन इसी शहर में कुछ ऐसे नाम भी हैं जो न कानून मानते हैं, न व्यवस्था। कानून के हाथ वहां तक नहीं पहुंचते जहां रसूख की छांव पड़ती है। रसूख, रील, रेस्टोरेंट और रहस्य का ‘गौरव सिंह पिन्चू’ नाम ऐसा ही एक प्रतीक बन गया है। कारण चाचा डॉ.अवधेश सिंह पिंडरा से भाजपा के विधायक हैं। पिस्टल लहराते वीडियो, गुमनाम फिल्म प्रोडक्शन, स्कैम में लिप्त इमारत में चलते रेस्तरां और हुक्का बार, और ऊपर से सरकारी नौकरी मगर एक दिन ऑफिस न जाना!

ये कहानी किसी वेबसीरीज की नहीं, बल्कि हकीकत की है। बनारस की गलियों में खुलेआम ताकत के नशे में कानून को चुनौती देने की।

  • गौरव सिंह पिन्चू ने ‘आशा फिल्म प्रोडक्शन’ के नाम से फर्म पंजीकृत कराई
  • अब तक कोई फिल्म या प्रोजेक्ट रिलीज नहीं हुआ, सिर्फ सोशल मीडिया में रीलें
  • एक रील में गौरव सिंह ने पिस्टल लहराई असली या नकली, यह स्पष्ट नहीं, लेकिन कोई एफआईआर नहीं।
  • आम आदमी प्लास्टिक की रिवॉल्वर से वीडियो बनाए तो कार्रवाई होती है, फिर पिन्चू पर चुप्पी क्यों?
  • गौरव सिंह चतुर्थ श्रेणी सरकारी कर्मचारी, पर किसी ने उसे ऑफिस जाते नहीं देखा।
  • उसकी पत्नी और भाई भी सरकारी नौकरी में हैं। सरकारी सिस्टम में पूरा परिवार ‘एडजस्ट’?
  • ग्रीनटेक नामक कंपनी ने करोड़ों की ठगी, लेकिन अब तक पुलिस ने बिल्डिंग जब्त नहीं की। बिल्डिंग पर कब्जा गौरव सिंह ‘पिंचू’ का।
  • बिल्डिंग में गौरव का ‘बनारसिया’ रेस्टोरेंट
  • इमारत की तीसरी मंजिल पर विक्की गिरी नामक युवक हुक्का बार चलाता है, जिस पर कुबेर काम्प्लेक्स में हुक्का बाजार चलाते हुए पहले भी कार्रवाई हो चुकी है।

गेस्ट हाउस की माया

सिगरा पर जिस जगह गौरव सिंह पिंचु बनारसिया रेस्टुरेंट व अदिति गेस्ट हाउस चला रहा है। ये भवन ग्रीनटेक फाइनेंस कंपनी का है जो वाराणसी व आसपास के जिलो से करोड़ो लेकर भाग गई है। जिसका मुकदमा सिगरा थाने में दर्ज है,लेकिन आज तक जिला प्रशाशन ने ये भवन क्यो नही अपने कब्जे में लिया। पहले इसमें तन्दूर बिला नाम का रेस्टूरेंट चलता था जिसमे खुलेआम जिस्मफरोशी का धंधा चलता था ऐसा भी नही कि इसकी शिकायत नही होती थी महीने में दर्जनों बार 112 नम्बर की गाड़ी इस रेस्टुरेंट पर आती थी।पड़ोसियों द्वारा कम्पलेन में ये बताया जाता था कि यहाँ देह व्यापार हो रहा है फिर 112 नंबर बीट चौकी पर रिपोर्ट कर चली जाती थी उस समय नगर निगम चौकी इंचार्ज भी गर्म गोश्त का शौकीन था ये वही दरोगा है जिस पर अभी हाल में इस पर रेप का आरोप भी लगा था।सिगरा थाना से लेकर जिले के क्राइम ब्रांच से लगायत एलआईयू व एसटीएफ सबको पता है कि गौरव सिंह पिंचु के इस गेस्ट हाउस में अब वर्तमान में अदिति गेस्ट हाउस के नाम से संचालित हो रहा है। जो कि पूर्ण रूप से अवैध भी है यहां भी जिस्म की आग को बुझाने का काम चल रहा है। जब भवन जमीन की रजिस्ट्री व भवन किसी और का है तो न ही वीडीए से नक्शा पास हो सकता है न ही गेस्ट हाउस का लाइसेंस बन सकता है। अब देखने है कि वाराणसी के तेजतर्रार पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल की कब इस पर नजर पड़ती है,या ये सब यूं ही चलता रहेगा ये तो वक्त ही बताएगा

पिंडरा विधायक अवधेश सिंह का भतीजा गौरव सिंह पिंचु का यही वीडियो पिस्टल के साथ वायरल हुआ था
पिंडरा विधायक अवधेश सिंह का भतीजा गौरव सिंह पिंचु का यही वीडियो पिस्टल के साथ वायरल हुआ था

‘गौरव सिंह पिन्चू’ की कहानी कानून से ऊपर, व्यवस्था से परे!

गौरव सिंह उर्फ ‘पिन्चू’ का एक वीडियो कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें वह फिल्मी अंदाज में पिस्टल लहराते हुए दिखाई देता है। इस वीडियो में हथियार असली था या नकली, यह तो जांच का विषय है, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पुलिस ने कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की। सवाल ये नहीं कि हथियार असली था या नकली सवाल ये है कि क्या कानून अब शक्ल देखकर काम करता है? किसी गरीब युवक ने प्लास्टिक की रिवॉल्वर से सोशल मीडिया पर रील बनाई तो तत्काल मुकदमा, लेकिन पिन्चू पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं? वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट की यह चुप्पी केवल निष्क्रियता नहीं, बल्कि एक सिस्टमेटिक संरक्षित मौन की स्वीकारोक्ति है।

‘आशा फिल्म प्रोडक्शन’ नाम है, फिल्म नहीं

गौरव सिंह ने एक फर्म रजिस्टर्ड करवाई ‘आशा फिल्म प्रोडक्शन’। फर्म के नाम से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर पेज बने, प्रोफाइल अपडेट हुए, फोटोशूट हुए, बायो में ‘फिल्ममेकर’ जोड़ा गया। लेकिन जब पड़ताल हुई तो सामने आया कि अब तक न कोई फिल्म बनी, न किसी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई। न एफडीसी में पंजीकरण, न फिल्म प्रमोशन बोर्ड से मंजूरी।सवाल उठता है यह फिल्म प्रोडक्शन हाउस है या सिर्फ एक कवर? क्या यह प्रतिष्ठा और पहचान की झूठी चादर है जिसके नीचे कोई दूसरा कारोबार पल रहा है?

नौकरी है, पर काम नहीं सरकारी सेवा या रसूख की सेवा

गौरव सिंह पिन्चू एक चतुर्थ श्रेणी सरकारी कर्मचारी है। रिकॉर्ड में उसका नाम दर्ज है, तनख्वाह मिलती है, पीएफ कटता है। लेकिन इस शहर के स्थानीय नेता और सरकारी कर्मचारियों की मानें तो गौरव को आज तक किसी ने कार्यालय आते नहीं देखा! इससे बड़ा मजाक क्या हो सकता है कि एक सरकारी कर्मचारी हर महीने हजारों रुपये वेतन लेता है लेकिन कार्यस्थल पर उसकी उपस्थिति केवल फाइलों में है? क्या यह भ्रष्टाचार नहीं? और क्या इस भ्रष्टाचार को विभागीय अधिकारी नहीं जानते।

पूरा परिवार ‘सरकारी’ मगर सेवा किसकी

गौरव सिंह अकेले नहीं हैं। उनकी पत्नी और भाई भी सरकारी सेवा में हैं। एक परिवार के तीन सदस्य सरकारी सेवा में यह सुनने में भले ही आदर्श लगे, लेकिन जब सेवा के नाम पर ‘अदृश्य उपस्थिति’ हो तो यह पूरा नेटवर्क बन जाता है। सूत्रों के अनुसार, यह परिवार अपने सरकारी रसूख का उपयोग निजी कारोबारों में कर रहा है। सरकारी सेवा का मतलब अब ‘सार्वजनिक कल्याण’ नहीं, बल्कि ‘पारिवारिक सुविधा केंद्र’ बनता जा रहा है।

ग्रीनटेक स्कैम ठगी, रेस्टोरेंट और सत्ता की छांव

‘ग्रीनटेक’ नाम की एक निजी कंपनी ने वाराणसी के सैकड़ों निवेशकों को करोड़ों का चूना लगाया। जमीन, फ्लैट और रिटर्न स्कीम के नाम पर करोड़ों रुपये वसूले और अचानक गायब हो गए। इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई, शिकायतें आयीं, लेकिन आश्चर्य की बात ये रही कि जिस भवन से यह कंपनी ऑपरेट करती थी, उसे अब तक सील नहीं किया गया। उसी भवन की जमीन पर अब गौरव सिंह का रेस्टोरेंट ‘बनारसिया’ चल रहा है। क्या यह इत्तेफाक है या ग्रीनटेक घोटाले और गौरव के बीच कोई अनदेखा तार है!

बनारसिया रेस्टोरेंट स्वाद के बहाने स्टाइल और सत्ता का शो

शहर के पॉश इलाके में स्थित ‘बनारसिया’ नामक रेस्टोरेंट सोशल मीडिया पर तेजी से पॉपुलर हो रहा है। यहां राजनीतिक रसूखदारों से लेकर पुलिसकर्मी तक चाय-कॉफी पीते नजर आते हैं। जिसकी आड़ में देह व्यापार का भी कारोबार फलता फूलता है। लेकिन सवाल यह नहीं कि रेस्टोरेंट चलता है सवाल यह है कि यह रेस्टोरेंट उस इमारत में चल रहा है जिस पर ग्रीनटेक घोटाले का दाग है और उसमें देह व्यापार का घिनौना कार्य होता है। ग्रीनटेक कंपनी द्वारा घोटाले के बाद प्रशासन की क्या जिम्मेदारी थी? क्या भवन को कब्जे में नहीं लेना चाहिए था या फिर पिन्चू के रेस्टोरेंट के आगे सब कुछ माफ है।

हुक्का बार और विक्की गिरी की वापसी

इसी इमारत की तीसरी मंजिल पर ‘हुक्का बार’ चलाया जा रहा है, जिसका संचालन कर रहा है विक्की गिरी। यह वही व्यक्ति जिस पर पहले कुबेर काम्प्लेक्स में अवैध हुक्का बार चलाने का मामला दर्ज हुआ था। विक्की पर कार्रवाई के बाद उम्मीद थी कि प्रशासन सख्त होगा। लेकिन हुआ उल्टा अब उसने नया अड्डा बना लिया। गौरव और विक्की की यह साझेदारी सिर्फ कारोबारी है या कुछ और? क्या यह रेवेन्यू नेटवर्क बन चुका है, जिसमें पुलिस, प्रशासन, रसूख और धंधा सब शामिल हैं।

अवैध ग्रीनटेक कंपनी जिसमें अब बनारसिया रेस्टोरेंट व हुक्का बार का होता है संचालन

पुलिस, प्रशासन और पिन्चू गठजोड़ की अनकही पटकथा

पिस्टल की रील, सरकारी नौकरी में गैरहाजिरी, करोड़ों की ठगी वाली बिल्डिंग में चलता रेस्टोरेंट, और अवैध हुक्का बार और इन सबके बावजूद पिन्चू पर न तो कोई विभागीय जांच, न एफआईआर, न मीडिया में शोर। इसका मतलब है कि पिन्चू और उसके साथियों को किसी ‘ऊपरी हाथ’ का संरक्षण प्राप्त है। पुलिस की चुप्पी, प्रशासन की चुप्पी और विभागों की निष्क्रियता एक गहरे गठजोड़ की ओर इशारा करती है। यह सामान्य उदासीनता नहीं, बल्कि सिस्टम की संलिप्तता है।

  • क्या कानून अब चेहरा देखता है!
  • पिन्चू आम आदमी होता, तो रील पर ही उसे जेल में डाल दिया जाता?
  • किसी गरीब की नौकरी में गैरहाजिरी होती, तो क्या उसे बर्खास्त नहीं किया जाता
  • किसी और ने हुक्का बार खोला होता, तो उस पर दोबारा कार्रवाई होती
  • कानून का मतलब सबके लिए एक समान होना चाहिए। लेकिन बनारस में ‘पिन्चू मॉडल’ कुछ और ही कहानी कहता है।

एक गुमनाम साम्राज्य की परतें

गौरव सिंह पिन्चू अब सिर्फ एक नाम नहीं, एक प्रतीक है। उस व्यवस्था का प्रतीक, जहां रसूख कानून से बड़ा हो चुका है। फर्जी प्रोडक्शन हाउस, अवैध हथियार का प्रदर्शन, सरकारी तनख्वाह लेकर मौज, ठगी वाले भवन पर कारोबार, और हुक्का बार का खुला संचालन। यह सब अगर बनारस में बिना रोक-टोक चल रहा है, तो यह सिर्फ पिन्चू की ताकत नहीं, सिस्टम की कमजोरी का भी सबूत है।

 

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