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सोनभद्र के ज्येष्ठ खान अधिकारी की पड़ताल: शैलेंद्र सिंह पटेल एक नम्बर का लुटेरा व वसुलीबाज, योगी जी के ईमानदार छवि का बिगाड़ रहा साज

~ सोनभद्र में खनन का सिंडिकेटराज सचिवालय तक फैला शैलेन्द्र पटेल का भ्रष्ट नेटवर्क

~ खनन लूट का मास्टरमाइंड बना ज्येष्ठ खनन अधिकारी शैलेन्द्र सिंह पटेल

~ जांच में दोषी, फिर भी सुरक्षित! शैलेन्द्र को बचा रहे शासन के ताकतवर अफसर

~ अनुप्रिया पटेल से लेकर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव तक, संरक्षण में फलता-फूलता भ्रष्टाचार

~ हर जिले में खनन सिंडिकेट बनाकर करोड़ों की अवैध कमाई

~ 2 दर्जन रिश्तेदार खनन विभाग में तैनात, परिवारवाद के जरिये बना लिया निजी खनन साम्राज्य

~ विशेष सचिव ने ठहराया दोषी, कार्रवाई पर अब भी चुप्पी

~ पूर्वांचल के एक विधायक की खुली सरपरस्ती, लखनऊ में दबाई जा रही हैं फाइलें

~ कार्रवाई हुई तो नपेंगे कई बड़े अफसर, मंत्री और सचिव स्तर के कई नाम भी आएंगे घेरे में

~ खनन घोटाले का सम्राट 300 करोड़ की संपत्ति, राजनैतिक संरक्षण और जीरो टॉलरेंस की हार

~ 80 बीघा जमीन और फर्जी पट्टे का खेल, हर जिले में पोस्टिंग के बदले खनन सिंडिकेट

~ मिंटू राय के जरिए रोजाना सैकड़ों ट्रक गिट्टी की तस्करी

~ जांच सिर्फ खानापूर्ति, दोष साबित फिर भी क्लीनचिट

 

― सन्तोष देव गिरी || अचूक संघर्ष

 

सोनभद्र। खनन सिर्फ जमीन की कोख से खनिज निकालने का काम नहीं है, यह उस व्यवस्था की असली पहचान है जहां सत्ता, प्रशासन और माफिया एक ही थाली में खा रहे हैं। सोनभद्र की पहाड़ियां जब खोदी जाती हैं, तो सिर्फ पत्थर नहीं निकलते साथ में बहता है करोड़ों का राजस्व, जो जेबों में जाकर खामोश हो जाता है। इस खामोशी के बीच सबसे ऊंची आवाज बनकर उभरा है शैलेन्द्र सिंह पटेल का नाम। यह सिर्फ एक खनन अधिकारी नहीं, बल्कि एक ऐसा नेटवर्क है जो सत्ता के शीर्ष तक सीधा जुड़ा है।

  • शैलेन्द्र सिंह पटेल, वर्तमान में सोनभद्र में तैनात ज्येष्ठ खनन अधिकारी हैं।
  • कई जिलों में तैनाती के दौरान अवैध खनन और परिवहन को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप।
  • विशेष सचिव खनन द्वारा की गई जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं
  • केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल व मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात प्रमुख सचिव एस.पी.गोयल का है संरक्षण
  • खनन निदेशक माला श्रीवास्तव की भूमिका पर सवाल
  • पूर्वांचल के एक विधायक का मिला संरक्षण
  • परिवार के 20 से अधिक सदस्य खनन विभाग में तैनात परिवारवाद का स्पष्ट उदाहरण।
    प्रत्येक जिले में तैनाती के दौरान स्थानीय अधिकारियों, पुलिस व माफिया के साथ ‘खनन सिंडिकेट’ संचालित किया

सोनभद्र की चुप खदानों में गूंजते सत्ता के साजिशी कदम

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले की जमीनों के नीचे बहती खनिज संपदा वर्षों से भ्रष्ट तंत्र की गुप्त पूंजी बन चुकी है। इन खदानों में जो निकाला जाता है, वो केवल खनिज नहीं, बल्कि जनता के हक और राजस्व की नींव होती है। इसी नींव को तहस-नहस कर रहे हैं खनन विभाग के वो अफसर जो सिस्टम को चाट कर खा रहे हैं। और उस पूरी मशीनरी के केंद्र में हैं ज्येष्ठ खनन अधिकारी शैलेन्द्र सिंह पटेल। जिन्हें खनन विभाग के अंदरूनी हलकों में ‘सिंडिकेट संचालक’ के नाम से जाना जाता है, वर्तमान में सोनभद्र में तैनात हैं। लेकिन यह तैनाती महज एक पता भर है असल कहानी तो उनकी तैनाती वाले हर जिले में फैले खनन माफियाओं के उस नेटवर्क की है, जिसे उन्होंने सत्ता के संरक्षण में तैयार किया। जांचों में दोषी पाए जाने के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही, क्योंकि सत्ता की छतरी उनके सिर पर तनी है।

जिलों में फैलाया सिंडिकेट, हर तैनाती बनी भ्रष्टाचार की प्रयोगशाला

शैलेन्द्र सिंह पटेल की अब तक की सेवा यात्रा को यदि गौर से देखा जाए तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वे जिस भी जिले में तैनात हुए, वहां एक पैटर्न दोहराया गया खनन माफियाओं से गठजोड़, राजस्व की अनदेखी, और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से अवैध खनन व परिवहन को खुली छूट। मिर्जापुर, चंदौली, प्रयागराज, सोनभद्र हर जिले में खनन सिंडिकेटों का संचालन उनके ही माध्यम से किया गया। खनिज माफियाओं के साथ मिलकर इन्होंने फर्जी ई-रवन्ना, बोगस चालान और बिना रॉयल्टी भुगतान के परिवहन जैसे खेल को संस्थागत रूप दिया। राजस्व का करोड़ों नुकसान और पर्यावरणीय विनाश यह रहा इनकी तैनातियों का साझा परिणाम।

सोनभद्र में खनन लूट का नया साम्राज्य

वर्तमान में सोनभद्र में तैनात शैलेन्द्र सिंह पटेल का नेटवर्क इतना गहरा हो चुका है कि स्थानीय थानों से लेकर डीएम कार्यालय तक खामोश हैं। उनका सिंडिकेट चुनिंदा ट्रकों को बिना चेकिंग पार कराता है, कई बार बिना खनिज मानकों के चालान बनते हैं, और जब अवैध बालू, मोरंग, स्टोन डस्ट आदि की खेप निकलती है, तो उसकी जानकारी शासन को नहीं मिलती क्योंकि सूचना चैन को ही पंगु बना दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक शैलेन्द्र सिंह की प्रतिदिन की ‘वसूली’ लाखों में है और यह पैसा ऊपर तक पहुंचता है। खनन नियमों की धज्जियां उड़ाने के बावजूद उन्हें हटाने की कोई प्रक्रिया शुरू नहीं हुई क्योंकि ‘सोनभद्र में सब सेट है’।

खनन निदेशक से लेकर सचिव तक चुप सत्ता का संरक्षण या भागीदारी

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में तैनात ज्येष्ठ खनन अधिकारी शैलेन्द्र सिंह पटेल पर प्रयागराज के पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल ने सीधे-सीधे 300 करोड़ रुपये की काली कमाई, स्टाम्प ड्यूटी चोरी, अवैध खनन और फर्जी पट्टा रैकेट चलाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उनका कहना है कि शैलेंद्र ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति खड़ी की, खनन की मलाईदार पोस्टिंग पर वर्षों तक डटा रहा और जब जांच हुई तो केवल दिखावे की। सवाल यह है कि जब आरोपी अफसर दोषी पाया जाता है और फिर भी उसे क्लीन चिट देकर ‘इनाम’ में सोनभद्र जैसे संसाधन संपन्न जिले की जिम्मेदारी दी जाती है, तो योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति आखिर क्या मात्र दिखावा है?

शिकायतों की परतें और राजनीतिक ठहराव

प्रयागराज के पूर्व विधायक रामसेवक सिंह पटेल ने सोनभद्र के वर्तमान ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेन्द्र सिंह पटेल पर 300 करोड़ की संपत्ति अर्जित करने और काले धन को रिश्तेदारों के नाम जमीन और फ्लैटों में बदलने का आरोप लगाते हुए कई स्तरों पर शिकायत की, परंतु हर बार कार्रवाई को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पूर्व विधायक का आरोप है कि वह मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर खनन निदेशालय तक दरवाज़ा खटखटा चुके हैं, लेकिन शैलेंद्र के ऊँचे राजनीतिक और नौकरशाही संपर्कों ने हर कोशिश को नाकाम कर दिया।

80 बीघा जमीन और स्टाम्प ड्यूटी की लूट

रामसेवक सिंह का दावा है कि शैलेन्द्र सिंह पटेल ने गांव में 80 बीघा जमीन काली कमाई से खरीदी है और क्रय में स्टाम्प ड्यूटी चोरी कर सरकारी राजस्व को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। आरोप यह भी है कि खुद के नाम पट्टा लेकर उसे एग्रीमेंट के माध्यम से दूसरों को हस्तांतरित किया गया, ताकि सरकारी नियमों को धोखा दिया जा सके।

बेनामी संपत्ति से आलीशान साम्राज्य

सवाल उठता है कि एक सरकारी अधिकारी जिसकी मासिक आय सीमित होती है, वह कैसे 15 करोड़ की खुद की संपत्ति के साथ अपने सगे-संबंधियों के नाम अरबों की जमीन-जायदाद बना सकता है? पूर्व विधायक ने सवाल उठाया है कि ऐसे अफसरों को संरक्षण देने वाले तत्व शासन में कहां तक बैठे हैं?

महोबा से मिर्जापुर तक खनन का काला जाल

शैलेन्द्र सिंह पटेल की पोस्टिंग का इतिहास भी संदेह से भरा है। वह महोबा, बांदा, चित्रकूट, मिर्जापुर जैसे खनन-गर्भित जिलों में तैनात रहा और हर जगह उसने बालू, गिट्टी और पत्थर के अवैध खनन का नेटवर्क खड़ा किया। मिर्जापुर में तो 16 लाख घनमीटर एमएम-11 फॉर्म का दुरुपयोग उजागर भी हुआ, जांच में दोष सिद्ध भी हुआ, लेकिन खनन निदेशालय ने उसे सोनभद्र भेज दिया।

 

सोनभद्र में खुलेआम अवैध खनन का साम्राज्य

सोनभद्र में शैलेंद्र सिंह ने चर्चित क्रशर व्यवसायी मिंटू राय के साथ मिलकर बीआईपी सिस्टम के जरिए रोजाना सैकड़ों ट्रकों में बिना ई-फॉर्म-सी दस्तावेज़ों के गिट्टी का अवैध परिवहन कराया। इस घोटाले से हर दिन लाखों और हर महीने 10 से 15 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का दावा किया जा रहा है।

क्लीनचिट का नाटक और शासन की चुप्पी

इस पूरे प्रकरण की जांच के लिए विशेष सचिव भू-वैज्ञानिक एवं खनिकर्म विभाग, अरुण कुमार तक आए। पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने साक्ष्य के साथ शिकायतें दीं, लेकिन जांच महज खानापूर्ति बनकर रह गई। खनन निदेशक माला श्रीवास्तव के निर्देश पर अधिकांश शिकायतें रद्दी टोकरी में फेंक दी गईं और शैलेंद्र को ‘क्लीन चिट’ दे दी गई।

 

योगी की जीरो टॉलरेंस नीति की खुली हार

जब भ्रष्टाचार की परतें खुलें, दोष साबित हो जाए, और फिर भी अफसर महफूज रहे, तो स्पष्ट है कि ‘जीरो टॉलरेंस’ का नारा महज एक प्रचार है। शैलेंद्र जैसे अफसर, जो हर जिले में करोड़ों की कमाई का नेटवर्क चलाते हों, राजनीतिक-प्रशासनिक संरक्षण की वजह से कानून से ऊपर नजर आते हैं।
प्रयागराज के पूर्व विधायक ने लगाए 300 करोड़ की संपत्ति और स्टाम्प ड्यूटी चोरी के आरोप
गांव में 80 बीघा जमीन, रिश्तेदारों के नाम करोड़ों की बेनामी संपत्ति
फर्जी पट्टे और अवैध एग्रीमेंट का आरोप
मिर्जापुर में दोष सिद्ध फिर भी सोनभद्र भेजा गया
मिंटू राय के साथ मिलकर हर महीने 10–15 करोड़ की अवैध कमाई
सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं से लेकर पर्यावरण कार्यकर्ताओं की शिकायतें निष्फल
विशेष सचिव ने जांच की खानापूर्ति की, खनन निदेशक ने क्लीन चिट दे दी
योगी सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ सवालों के घेरे में

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