वाराणसी

काशी से शिवपाल ने किया एलान, 2027 में होगा भाजपा का काम तमाम

धर्म और राम के नाम की राजनीति को समझ चुकी है जनता : शिवपाल यादव

 भाजपा की ‘आस्था की दुकानदारी’ पर समाजवादी नेता का तीखा प्रहार

 राम की आड़ में राजनीति, जनता ने तोड़ी भ्रम की जंजीरें

 संत नहीं, सत्ता के सेवक योगी पर शिवपाल का तंज

 भाजपा-आरएसएस की ‘धर्म फैक्ट्री’ का सच सामने आया

 फोटो, फ्लैश और फेल शासन यही है योगी मॉडल!

 मायावती पर वार कहा भाजपा की छाया में बसपा

 दीपोत्सव से विकास तक भाजपा का खेल सिर्फ श्रेय का

 जनता अब धर्म नहीं, कर्म का हिसाब मांगेगी, भय की राजनीति का अंत निकट

 

माया रानी अग्रहरि एडवोकेट

 

वाराणसी। धर्म, आस्था और राम के नाम पर चल रही राजनीति अब अपने चरम पर पहुंचकर जनता की चेतना से टकरा रही है। वह जनता, जो कभी मंदिर के उद्घाटन और दीपोत्सव के चकाचौंध में वोट डालने को राष्ट्रभक्ति समझती थी, अब सवाल पूछ रही है कि राम का नाम किसके लिए, और किससे? समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव का बयान इसी बदलते मनोविज्ञान का प्रतीक बनकर उभरा है। काशी की पवित्र धरती पर गोवर्धन पूजा के अवसर पर उन्होंने कहा कि जनता अब समझ चुकी है कि धर्म और राम का नाम सिर्फ सत्ता पाने का औजार बन गया है। भाजपा ने आस्था को बाजार बना दिया है। यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी नहीं था, बल्कि उस सत्ता-संस्कृति पर सीधा हमला था जो राम के नाम पर सड़कों, दीपों और नारों से अपनी वैधता साबित करने की कोशिश करती रही है। शिवपाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कंस-दुर्योधन वाले बयान को पलटवार में ढालते हुए कहा कि जो स्वयं संत कहे जाने का दावा करते हैं, वे यदि अपशब्दों से विपक्ष को अपमानित करें, तो यह धर्म नहीं, अधर्म की राजनीति है। काशी के सर्किट हाउस में शिवपाल की जो भाषा थी, वह सधी हुई लेकिन धारदार थी। शिवपाल ने न केवल भाजपा के धर्म-राजनीति मॉडल पर सवाल उठाए, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, आरएसएस और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती तीनों को एक ही ‘राजनीतिक गठबंधन’ की परिधि में रखा। कहा कि भाजपा और आरएसएस दिखावे में धार्मिक हैं, पर उनके कर्म अधर्म की सीमा छू चुके हैं। मायावती की भाजपा के प्रति नरमी इस मिलीभगत का प्रमाण है। वाराणसी में दीपोत्सव और विकास कार्यों पर भाजपा की वाहवाही पर शिवपाल ने तीखा तंज कसते हुए कहा कि काशी में चौड़ी सड़कें किसने बनवाईं, घाट किसने सजाए, दीपक कौन जलाता है जनता सब जानती है। समाजवादियों ने काम किया, भाजपा ने कैमरा लगाया। यह बयान उस क्षण में आया जब प्रदेश में धार्मिक आयोजनों को राजनीतिक उपलब्धि के रूप में पेश किया जा रहा है। शिवपाल का स्वर, इस दिखावे के युग में, जनता की उस आवाज की तरह था जो कहती है कि अब धर्म नहीं, कर्म का हिसाब दो। काशी के इस बयान ने आगामी चुनावी समीकरणों में नई हलचल पैदा कर दी है। शिवपाल ने स्पष्ट कर दिया कि 2025 की राजनीति में अब ‘राम’ और ‘रोटी’ दोनों का प्रश्न अलग नहीं, बल्कि एक ही संघर्ष की दो धाराएं बन चुकी है।

राम के नाम पर उल्टा काम शिवपाल का सीधा वार

शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी जिसमें उन्होंने विपक्ष को ‘कंस’ और ‘दुर्योधन’ कहा था। शिवपाल ने कहा कि संत तो शांत स्वभाव के होते हैं, आशीर्वाद देते हैं। जो विरोधियों को गाली दे, वह संत नहीं, सत्ता के सेवक है। राम के नाम पर उल्टा काम करने वालों से जनता अब ठगी नहीं जायेगी। कहा कि भाजपा ने धर्म को राजनीति की सीढ़ी बना दिया है, जबकि धर्म का सार है सदाचार, सेवा और सत्य। इन लोगों ने धर्म को दुकान बना दिया है, और राम के नाम पर अपने काले कर्म छिपा रहे हैं।

भाजपा और आरएसएस का असली चेहरा उजागर

एक मंदिर में बुजुर्ग के साथ अभद्रता की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए शिवपाल बोले कि यह निंदनीय है। भाजपा और आरएसएस के लोगों का यही असली चेहरा है। वे दिखावे में धर्म के ठेकेदार हैं, लेकिन उनके भीतर इंसानियत मर चुकी है। कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता जनता के बीच सेवा या सहयोग के नाम पर केवल प्रचार करते हैं। भाजपा सेवा नहीं, सेल्फी करती है।

भाजपा की सरकार पूरी तरह फेल

शिवपाल यादव ने प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा का शासन प्रशासनिक विफलताओं से भरा है। कानून-व्यवस्था की हालत खराब है, महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई, बल्कि आधी रह गई। उद्योग बंद हो रहे हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य का हाल बेहाल है। कहा कि मुख्यमंत्री केवल इवेंट मैनेजमेंट और फोटो सेशन में व्यस्त हैं। योगी सरकार जनसमस्याओं से मुंह मोड़ चुकी है। जनता अब सिर्फ सुनती नहीं, समझती भी है।

मायावती भाजपा से मिली हुई

बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के हालिया बयानों पर शिवपाल ने कहा कि अब यह बात छिपी नहीं रह गई कि मायावती भाजपा के साथ अप्रत्यक्ष गठजोड़ में हैं।
भाजपा की तारीफ और सपा पर हमले से साफ है कि मायावती जनता को भ्रमित करने में भाजपा की मदद कर रही हैं। लेकिन जनता अब समझदार हो चुकी है। कहा कि विपक्ष को तोड़ने की भाजपा की रणनीति अब बे-असर साबित होगी क्योंकि जनता अब खुद विपक्ष बन चुकी है।

अयोध्या और काशी के नाम पर श्रेय की राजनीति

अयोध्या के दीपोत्सव पर पूछे गए प्रश्न पर शिवपाल बोले कि वहां दीपक किसने जलाया और घाट किसने बनवाया? भाजपा ने केवल रिबन काटे हैं, काम समाजवादियों ने किया है। वाराणसी का उदाहरण देते हुए कहा कि चौड़ी-चौड़ी सड़कें किसने बनवाईं, विकास का खाका किसने तैयार किया? भाजपा ने जनता के पैसे पर सिर्फ ढोल पीटा है। शिवपाल का यह बयान भाजपा की विकास-राजनीति की उस परत को उधेड़ता है जहां श्रेय लेने की होड़ में जनता की जरूरतें पीछे छूट जाती है।

जनता अब समझ चुकी है दिखावे की राजनीति

शिवपाल यादव ने कहा कि भाजपा की पूरी राजनीति झूठ, प्रचार और दिखावे पर आधारित है। जनता से किए वादे भूले जा चुके हैं, रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सब बर्बाद है। लेकिन पोस्टर-बैनर में सब कुछ स्वर्ग दिखाया जा रहा है। यही भाजपा का ‘विकास मॉडल’ है। कहा कि धर्म के नाम पर राजनीति करने वाले अब जनता के विश्वास से खेल नहीं पाएंगे। जनता अब धर्म और राजनीति के बीच का फर्क समझने लगी है। लोगों को समझ आ गया है कि मंदिर में दिखने वाले ये चेहरे सत्ता में मंदिर नहीं, अपने महल बना रहे हैं।

सपा कार्यकर्ताओं का जोश, जनता में भरोसा

सर्किट हाउस पहुंचने पर सपा कार्यकर्ताओं ने लाल साफा और गमछे पहनाकर शिवपाल का भव्य स्वागत किया। स्थानीय कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रदेश में जनता भाजपा की नीतियों से त्रस्त है और अब बदलाव की लहर दिखने लगी है। शिवपाल ने कहा कि हम जनता के बीच हैं, नारे से नहीं, काम से विश्वास जीतेंगे।

अब डर नहीं, जनादेश जवाब देगा

शिवपाल ने कहा कि सत्ताधारी दल अब भय का माहौल बनाकर चुनाव जीतना चाहता है। भय और भ्रम की राजनीति अब समाप्त होने वाली है। जनता अब डरने नहीं, जवाब देने को तैयार है। कहा कि सपा का संघर्ष अब जनता के हक, संविधान और असली धर्म यानी न्याय और सत्य के लिए है। जो राम का नाम लेकर नफरत फैलाते हैं, उन्हें जनता अगले चुनाव में माफ नहीं करेगी।

आस्था बनाम सत्ता की लड़ाई

शिवपाल यादव के बयान सिर्फ राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकेत भी है कि धर्म का नाम अब राजनीतिक सुरक्षा कवच नहीं रह गया। जनता धीरे-धीरे यह समझ रही है कि मंदिर और मनुष्य के बीच जो दीवार बनाई गई है, वह सत्ता की रचना है। 2025 की राजनीति में अब धर्म नहीं, जवाबदेही केंद्रीय मुद्दा बनने की राह पर है। जनता की आस्था अब मंचों और भाषणों से नहीं, अपने जीवन की वास्तविकता से तय होगी। राम का नाम अब वोट नहीं, विवेक का प्रतीक बनता जा रहा है।

* शिवपाल यादव ने कहा कि जनता अब समझ चुकी है कि धर्म और राम का नाम सिर्फ सत्ता का साधन है।
* मुख्यमंत्री योगी पर तंज संत शांत होते हैं, गाली नहीं देते।
* भाजपा-आरएसएस का असली चेहरा बेनकाब सेवा नहीं, सेल्फी करते हैं।
* भाजपा सरकार को करार दिया पूरी तरह फेल जनसमस्याओं से मुंह मोड़ा।
* भाजपा से मिली हुई हैं मायावती
* अयोध्या और वाराणसी के विकास पर कहा कि काम समाजवादियों ने किया, ढोल भाजपा पीट रही है।
* सपा कार्यकर्ताओं ने काशी में किया जोरदार स्वागत।
* भय की राजनीति खत्म होगी, जवाब देगा जनादेश।

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