
चन्दौली। लगभग कुछ माह पूर्व में यूपी में शराब तस्करी को लेकर मशहूर जनपद चन्दौली एक बार फिर सुर्खिया में उस उक्त आ गया। जब विगत सप्ताह की रात आपस में रूपये की बटवारा को लेकर एक दोस्त ने अपने साथियों से मिलकर जिम संचालक को गोली मार कर हत्या कर दी। मामले में आधा दर्जन से अधिक लोगो आरोपित बनाया गया।जिसके बाद पुलिस एक्शन मोड में आ गयी। इसी दौरान पुलिस को मामले में चार आरोपित एमजी रोड़ हाईकोर्ट प्रयागराज से समीप कश्यप लाज में ठहरे की सुचना प्राप्त हुई।
सुचना के आधार पर पुलिस ने चार आरोपित को पकड़कर चंदौली लाकर प्रारभिक पूछ-ताछ में कर आरोपियों को हत्या में प्रयोग किए गए बरामदगी के लिए एनएच टू पर स्थित खंडहर मकान (गुरुकुल विद्यालय)के समीप ले गये। जहा बदमाशों के द्वारा पहले से लोडेड कर रखे गए हथियार को उठाकर पुलिस पर फायरिंग कर दी। पुलिस के द्वारा किये जबाबी फायरिंग में चारों आरोपित के पैर में गोली लगी।
अब प्रश्न यह उठता है,कि जब पुलिस टीम चारों आरोपित को प्रयागराज से चंदौली ले आई तो रास्ते में आरोपित क्यों नहीं भागने का प्रयास किया। जब पुलिस के साथ में चारों आरोपित हत्या में प्रयोग किये गए असलहे की बरामदगी के ले कर गयी। तो जाहिर सी बात है कि पुलिस चारों आरोपी को पर्याप्त पुलिस सुरक्षा में लेकर पहुंची होगी उसके बाद भी अपराधी पुलिस पर कैसे गोली चला देंगे। यह फिल्मी कहानी कुछ समझ के परे है।
कुछ अनुसलझे सवाल
- चन्दौली पुलिस कहना है की जब आरोपीयों को असलहा बरामदगी के लिये ले जाया गया तो आरोपियों द्वारा जिससे गोली चलाई गई उसी असलहा से पुलिस टीम पर फायरिंग की गई।
- अब सवाल ये उठता है कि जब पुलिस टीम द्वारा आरोपियों से असलहा बरामद के लिये जहाँ पुलिस ले गयी तो वहां पुलिस के दर्जनों लोग थे तो आरोपियों को खुला तो छोड़ नही दिया होगा इतने पुलिस बल होने के बाद आरोपीगण कैसे हमला कर सकते है ?
- अमूनन जब हत्या जैसे मामलों में जब पुलिस आरोपियों को पकड़ती है तो पूछताछ में पकड़े गए अपराधियों को इतना तोड़ डालती है कि वे सपने में भी पुलिस टीम पर फायरिंग की बात सोच ही नही सकते।
- आम तौर पर जब इस समय पकड़े गए अपराधियों में पुलिस द्वारा मुठभेड़ में मारे जाने का भय इतना प्रबल रहता है कि वो खुद ही जब तक जेल नही चले जाते उन्हें मौत का खौफ रहता है तो पुलिस टीम पर हमला कैसे कर सकते है ?
- पुलिस द्वारा जिन आरोपियों को पैर पर गोली मारी गयी है सबको घुटने के नीचे ही गोली लगी है यदि रियल मुठभेड़ होती तो गोली किसी को घुटने के ऊपर या पैर के किसी अन्य हिस्से में क्यो नही लगी?
उत्तर प्रदेश के अंदर लगभग 8 वर्षों से पुलिस के द्वारा एनकाउंटर किए जाने की खबर आए दिन सुनने व पढ़ने को मिलती है। यह बात दिगर है कि कभी पुलिस अपराधियों के हाफ एनकाउंटर तो कभी फुल एनकाउंटर करती है। लेकिन एक बात समझ में नहीं आती है कि अपवाद को छोड़ दे तो लगभग सभी एनकाउंटर में एक ही कहानी सुनने वह देखने को मिलती है। कभी पुलिस बताती है पुलिस को चकमा देने कर भागने का प्रयास कर रहा था तो उसे पैर में गोली मार दी गई तो कभी पुलिस बताती है कि पुलिस बल पर फायरिंग अपराधी के द्वारा किया गया जिसकी जवाब देही हाफ एनकाउंटर या की फुल एनकाउंटर किया गया।
अगर सूत्रों का माने तो पुलिस पहले अपराधियों से सब कुछ पूछताछ के दौरान सब जानकारी एकत्र कर लेती है। उसके बाद पुलिस पकड़े गए अपराधी के पैर में पहले बोरा बांध देती है फिर किसी स्थान पर ले जाकर हाफ एनकाउंटर कर देती है। उसके बाद पुलिस एक नया कहानी तैयार कर लोगों के सामने पेश कर देती है।



