बंगला मालिकों को डराने के लिए छावनी बोर्ड पर सेना बुलाने का आरोप, वाराणसी डीएम से जांच की मांग
वाराणसी छावनी में सीईओ पर सेना के दुरुपयोग का आरोप, छावनी अधिनियम का उल्लंघन? सीईओ पर शक्तियों के दुरुपयोग का गंभीर आरोप

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के छावनी एरिया में बंगला मालिकों को डराने और धमकाने के आरोपों को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। एक आधिकारिक पत्र के माध्यम से यह आरोप लगाया गया है कि छावनी बोर्ड वाराणसी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) श्री सत्यम मोहन ने निरीक्षण नोटिस जारी करते समय सेना के जवानों की उपस्थिति का अवैध रूप से प्रयोग किया। इस संबंध में वाराणसी के जिलाधिकारी श्री सत्येन्द्र कुमार, आईएएस को पत्र भेजकर इस कार्यवाही को “डीएम शक्तियों का गैरकानूनी उपयोग” बताया गया है।
पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि छावनी अधिनियम 2006 के अनुसार सेना की तैनाती का अधिकार केवल जिलाधिकारी, मंडलायुक्त या मुख्य सचिव जैसे उच्च नागरिक प्रशासनिक अधिकारियों को ही है, न कि किसी छावनी बोर्ड के अधिकारी को। सीईओ द्वारा ऐसा करना कानून के खिलाफ है और इससे छावनी में रहने वाले नागरिकों में भय का माहौल उत्पन्न हुआ है।
इस विषय में ब्रिगेडियर ए. दत्ता, स्टेशन कमांडर, 39 जीटीसी, वाराणसी को भी एक औपचारिक पत्र भेजा गया है, जिसकी प्रतिलिपि सीईओ छावनी बोर्ड और कैंट थाना को भी दी गई है।
साथ ही, पत्र में छावनी अधिनियम 2006 की धारा 12 के प्रावधानों के अंतर्गत एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, जैसे एडीएम, को वाराणसी छावनी बोर्ड की बैठकों में नियमित रूप से भाग लेने हेतु नामित करने का अनुरोध किया गया है। ऐसा करना छावनी बोर्ड की पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रिया की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक बताया गया है।
यह मुद्दा वाराणसी छावनी क्षेत्र में नागरिक और सैन्य प्रशासन के बीच संतुलन एवं उत्तरदायित्व की आवश्यकता को एक बार फिर उजागर करता है। जिला प्रशासन द्वारा इस पर क्या रुख अपनाया जाएगा, यह आने वाले समय में स्पष्ट होगा।




