
रिपोर्ट : अचूक संघर्ष, ब्यूरो, नई दिल्ली
नई दिल्ली। भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को अपने पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा है। उन्होंने अपने पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए कहा कि अब उन्हें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना है और चिकित्सकीय सलाह का पालन करना आवश्यक हो गया है।
अंततः संविधान की मर्यादा तार-तार करने वाले उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा उस राजनीतिक दौर का प्रतीकात्मक अंत है, जिसमें संवैधानिक पदों की गरिमा से अधिक सत्ता के प्रति वफादारी हावी रही। राज्यसभा के सभापति के रूप में उन्होंने बार-बार विपक्ष की आवाज को दबाने की कोशिश की। जब भी संसद में जनता के मुद्दे उठाए जाते, उनकी कुर्सी से या तो माइक बंद होता या विपक्षी सांसदों को सदन से बाहर का रास्ता दिखाया जाता। उनकी कार्यशैली ने यह आभास दिया कि वे सत्ता पक्ष के प्रवक्ता की भूमिका में हैं, न कि संवैधानिक निष्पक्षता के प्रतीक उपराष्ट्रपति की। लोकतंत्र की आत्मा संवाद है, लेकिन उनके कार्यकाल में असहमति को शत्रुता समझा गया। उनका इस्तीफा न केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया है, बल्कि उस जनता की भी नैतिक जीत है जो सच बोलने वालों के साथ खड़ी थी।
धनखड़ ने अपने पत्र में लिखा, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए मैं उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे रहा हूँ। यह संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुरूप है।”
धनखड़ का इस्तीफा तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है, जिससे उपराष्ट्रपति का पद फिलहाल रिक्त हो गया है।
धनखड़ की उम्र 74 वर्ष है और बीते कुछ महीनों में उनके स्वास्थ्य को लेकर कई बार चिंता जताई गई थी। मार्च में उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। कुछ सप्ताह पूर्व उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के दौरान उन्हें मंच पर चक्कर आ गया था और वे कुछ समय के लिए अचेत भी हो गए थे।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत, उपराष्ट्रपति किसी भी समय राष्ट्रपति को लिखित रूप में इस्तीफा दे सकते हैं। धनखड़ ने इसी के तहत इस्तीफा दिया है।
उपराष्ट्रपति का पद खाली होने के कारण अब संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सभापति का पद भी खाली हो गया है। नियमों के अनुसार अब राज्यसभा के उपसभापति या राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त कोई सदस्य कार्यवाहक सभापति की जिम्मेदारी संभाल सकता है।
इस बीच, नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना है।
जगदीप धनखड़ भारत के तीसरे ऐसे उपराष्ट्रपति बने जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किए बिना पद छोड़ा है। इससे पहले वी.वी. गिरी और आर. वेंकटरमण ने भी क्रमश: 1969 और 1987 में इस्तीफा दिया था।
धनखड़ ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद, संसद के सदस्यों और देशवासियों का आभार जताया। उन्होंने कहा, “संविधान, संसद और देश की प्रगति को नजदीक से देखने का अवसर मेरे जीवन का सौभाग्य रहा है।”
पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता रहे जगदीप धनखड़ को 2022 में उपराष्ट्रपति चुना गया था। उन्होंने एम. वेंकैया नायडू का स्थान लिया था और बतौर राज्यसभा सभापति उन्होंने कई महत्वपूर्ण सत्रों की अध्यक्षता की थी।
अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि नए उपराष्ट्रपति के लिए सत्ता पक्ष किस नाम पर मुहर लगाता है और विपक्ष किस रणनीति के साथ आगे बढ़ता है।




