वाराणसी के जिला प्रशासन को हुआ अंखमुदवा रोग,कुछ जिम्मेदार अधिकारी राजश्री स्वीट के “माल” का कर रहे जमकर उपभोग

~ मिठाई के मीठे जाल में फंसी कमिश्नरेट वाराणसी की पुलिस, जाम में जनता बेहाल!
~ राजश्री के दलान में ‘सलामी’ और सड़कों पर जनता की बदहाली
~ कमिश्नरेट की आंखों पर मिठाई की पट्टी, रोजाना लगता है जाम
~ कचहरी के पास वीआईपी रास्ता भी ठप, फिर भी सब खामोश
~ बेसमेंट में स्टॉक, सड़कों पर ब्लॉक नियमों की उड़ रही खुली धज्जियां
~ पीएम मोदी की काशी में चलता है राजश्री मिठाई का राज
~ जनता की चीख सुनाई नहीं देती, मिठाई की चाशनी सब मीठा कर देती
~ कुछ अधिकारियों की खिदमत में लीन मिठाई का अधिपति
~ जो जनता का है जवाबदेह, वह क्यों हो गया राजश्री का मेहमान
~ राजश्री की मिठाइयों में घालमेल , फिर भी नहीं होती जांच
वाराणसी। काशी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र, विश्व की प्राचीनतम जीवित नगरी में से एक, जहां संस्कृति और शुचिता की मिसालें दी जाती हैं। लेकिन आज उसी पवित्र नगरी की सड़कों पर अफसरशाही की चाशनी में डूबा अराजकता का स्वाद घुल गया है।
जहां पुलिस और प्रशासन को जनता की सेवा करनी थी, वहां वे मिठाई के चढ़ावे जैसी आवभगत में लिप्त हैं। राजश्री मिष्ठान भंडार जो अब केवल एक दुकान नहीं, बल्कि सत्ता, सिस्टम और सांठगांठ का प्रतीक बन चुकी है, उसके दलान में वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस का ‘सलाम’ और सड़क पर जनता का ‘चिरकालिक इंतजार’ आम बात बन गया है। काशी में सभ्यता की रक्षा करने वाले अधिकारी यदि बेसमेंट को गोदाम और गली को पार्किंग समझने लगें तो सवाल पूछा जाना चाहिए क्या ये वही काशी है, जिसकी गूंज प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक मंचों तक ले जाते हैं।
एक मिठाई दुकान या सत्ता का नया दरबार
वाराणसी के केंद्र में स्थित राजश्री स्वीट्स का नाम आम बनारसी की जुबान पर भले ही स्वाद के लिए आता हो, लेकिन अब यह दुकान सत्ता के गलियारों में एक रसूखदार संस्था की तरह जानी जाती है। दुकान के अधिष्ठाता को शहर के बड़े प्रशासनिक, व पुलिस अधिकारी ‘श्रीमान’ की तरह मान देते हैं। कारण निःशुल्क मिठाइयों की नियमित आपूर्ति, विवाह-पार्टी में विशेष पैकेट। यहां मिठाई मिलती नहीं, ‘पहुंचाई’ जाती है वो भी स्पेशल लिस्ट वालों को। इस दुकान के दलान में बैठना, चुस्की के साथ मिठास लेना, और शहर की सबसे व्यस्त सड़क पर ट्रैफिक नियमों को ठेंगा दिखाना यह सब अब विशेषाधिकारों की श्रेणी में आता है।
कचहरी के पास का वीआईपी जाम आमजन के लिए त्रासदी
वाराणसी कचहरी शहर का प्रशासनिक और न्यायिक नाभिकेंद्र है। यहीं से जिला जज से लेकर कमिश्नर तक का कार्यक्षेत्र चलता है। लेकिन रोजाना सुबह 9 से रात्रि 9 बजे तक यह इलाका जाम में घुटता है। खासकर राजश्री के सामने की सड़क पूरी तरह ठप हो जाती है।
पार्किंग के नाम पर फुटपाथ हड़प लिए गए हैं, मिठाई लोडिंग-अनलोडिंग के नाम पर सड़कों पर कब्जा रहता है। कई बार एम्बुलेंस तक इस भीड़ में फंसी है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं।
ट्रैफिक पुलिस की रहस्यमयी चुप्पी
राजश्री के सामने खड़ी कारों, स्कूटरों पर कभी कोई चालान नहीं चिपकता। न कोई हटाओ अभियान, न कोई सख्ती। पास ही पुलिस चौकी है लेकिन वहां के पुलिसकर्मी ‘परिचित’ ग्राहकों को देखकर आंखें फेर लेते हैं। कभी-कभार कोई नया अफसर ट्रैफिक हटवाने आता है, पर जल्द ही मिठाई और पैकेट की मिठास में घुल जाता है।
काशी की सड़कें सत्ता के आगे लाचार
गौर कीजिए वाराणसी में वीवीआईपी मूवमेंट की संवेदनशीलता कितनी अधिक है। प्रधानमंत्री मोदी के आगमन पर पूरा कचहरी मार्ग ट्रैफिक व्यवस्था सेना के अनुशासन की तरह कसी जाती है। लेकिन राजश्री के सामने वही सुरक्षा घुटनों पर बैठी दिखती है। यह बताता है कि कुछ लोग व्यवस्था से ऊपर हो गए हैं। केवल इसलिए कि उनके पास ‘सेवा भाव’ का मिठास है।
पार्किंग की जगह बना गोदाम नियमों की उड़ी धज्जियां
राजश्री मिष्ठान की पूरी इमारत ही अवैध है बेसमेंट भी विधि विरुद्ध है लेकिन बेसमेंट में भी ये लम्पट मालिक ने पार्किंग का उपयोग नही करता ,बल्कि बेसमेंट में वहां मिठाई, आटा, तेल और ड्रायफ्रूट्स के बड़े-बड़े स्टॉक रखे जाते हैं। फायर सेफ्टी नियमों की घोर अनदेखी है। न कोई जांच, न कोई नोटिस। नगर निगम, विकास प्राधिकरण और अग्निशमन विभाग की आखों पर जैसे मिठाई की परत चढ़ गई है।
कुछ न्यायिक अधिकारियों की ‘स्नेहसूची’ में क्यों है मिठाई वाला!
सूत्रों की मानें तो जिला न्यायालय के कुछ न्यायिक अधिकारियों को त्यौहारों, समारोहों में विशेष भेंट और मिठाई के ‘विशेष पैकेट’ जाते हैं। यह ‘पारंपरिक आदान-प्रदान’ नहीं, बल्कि एक खतरनाक गठजोड़ की शुरुआत है। जहां न्याय को भी ‘स्वाद’ में लपेट कर पेश किया जा रहा है।
जनता की चीखें कौन सुनेगा
हर दिन, स्कूल जाते बच्चों से लेकर ऑफिस जाते कर्मचारी, कचहरी के चक्कर लगाने वाले फरियादी, एम्बुलेंस में मरीज सब इसी एक सड़क के जाम में फंसते हैं। कोई भी स्थायी समाधान न प्रशासन के पास है, न पुलिस के पास। और क्यों हो? जब अफसर स्वयं इसी दुकान के ग्राहक और ‘अतिथि’ हैं।
पीएम मोदी की ‘काशी’ के नाम पर कलंक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी को सांस्कृतिक राजधानी, स्मार्ट सिटी और ‘विश्वगुरु की आस्था’ का केंद्र बताया है। उन्होंने अनेक विकास योजनाएं लागू कीं। लेकिन एक मिठाई की दुकान के आगे अगर पुलिस और प्रशासन बौना साबित हो रहा है, तो यह काशी की आत्मा के साथ धोखा है।
- राजश्री मिष्ठान भंडार के सामने प्रतिदिन लगने वाला ट्रैफिक जाम
- बेसमेंट पार्किंग का अवैध रूप से गोदाम में परिवर्तन
- कमिश्नरेट पुलिस व जिला प्रशासन की मिलीभगत और चुप्पी
- मिठाई के नाम पर न्यायिक व प्रशासनिक अधिकारियों को ‘तृप्त’ करना
- नियमों की धज्जियां उड़ाकर वीआईपी क्षेत्र में खुलेआम अतिक्रमण
- वाराणसी विकास प्राधिकरण, नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस की निष्क्रियता
- आम जनता की असुविधा और दुखद अनुभव
- पीएम मोदी की ‘डिजिटल-स्वच्छ-सभ्य काशी’ की छवि पर गंभीर प्रश्न
मिठाई मुफ्त में बंटती है तो क्या कार्रवाई भी मुफ्त में हो जाती है खत्म
शहर के प्रमुख मिठाई प्रतिष्ठानों में शुमार राजश्री की साख पर उस समय सवाल उठ खड़े हुए जब कुछ दिनों पूर्व एक ग्राहक को मिठाई में मानव बाल मिला। ग्राहक ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया, जो देखते ही देखते वायरल हो गया। वीडियो में साफ तौर पर मिठाई के अंदर बाल दिखाई दे रहा था और ग्राहक ने दुकान के कर्मचारियों से जवाब भी मांगा। लेकिन न तो राजश्री प्रबंधन की ओर से कोई माफी आई और न ही खाद्य सुरक्षा विभाग ने कोई संज्ञान लिया।
सूत्रों की मानें तो यह पहला मामला नहीं है जब राजश्री की मिठाइयों को लेकर सवाल उठे हों। इसके पहले भी मिठाई की गुणवत्ता और साफ-सफाई को लेकर शिकायतें सामने आई हैं, लेकिन हर बार मामला रफा-दफा कर दिया गया। नागरिकों का आरोप है कि राजश्री की मिठाई वीवीआईपी और अधिकारियों को मुफ्त में पहुंचाई जाती है, यही कारण है कि उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होती। विशेष बात यह है कि यह घटना ऐसे समय में हुई जब वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा मिलावटखोरी के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा था, लेकिन राजश्री जैसे प्रतिष्ठानों पर नजर डालने की हिम्मत किसी अधिकारी ने नहीं दिखाई। अगर आम दुकानदार के यहां से ऐसा वीडियो वायरल होता तो अब तक उसकी दुकान सील हो जाती। क्या मिठाई में बाल मिलना ‘सामान्य’ त्रुटि मानकर नजरअंदाज कर दिया गया। प्रशासन की चाहिए कि वायरल वीडियो पर स्वतः संज्ञान लेगा या फिर राजश्री के दलान में मुफ्त की मिठाई खाकर आंखें मूंदे बैठा रहेगा।




