नोएडा

सावधान दिल्ली एनसीआर में ऑन-डिमांड बच्चा चोरी करने वाला गिरोह सक्रिय…

रिपोर्ट: मंजर खान, अचूक संघर्ष ब्यूरो, नोएडा

नोएडा:  भारत में मानव तस्करी करने वाले गैंग व बच्चा चोरी करने वाले गैंग की सही संख्या अज्ञात है। लेकिन दिल्ली एनसीआर में इन दिनों ऑन डिमांड बच्चा चोरी गैंग बहुत ज्यादा सक्रिय हो चुका है। इसलिए अभिभावकों से निवेदन है कि बिल्कुल ना रहिए बेखबर वरना बच्चा हो जाएगा छूमंतर, क्योंकि बचपन बचाओ आंदोलन संस्था के अनुसार हिंदुस्तान में हर साल लगभग 96000 बच्चों मिसिंग होते हैं या चोरी किए जाते हैं । और चौंकाने और हैरानी की बात है कि 60000 से 70000 केवल मेट्रो सिटी से बच्चे चोरी होते हैं।

इस समस्या की गहराई से जांच पड़ताल करने की इच्छा से जब मैं इस तरीका के सक्रिय गैंग से मिलने जुलने वालों से पूछा तो उन्होंने नाम ना बताने के शर्त पर कुछ बातें बताएं जो बिल्कुल हैरान और आंखों को फटी की फटी कर देने वाली अमानवीय सच्चाई बताया, जिसे सुन कर रोना आ गया। बच्चा चोरी गैंग के अज्ञात सदस्य ने बताया कि अब बच्चा हमेशा ऑन डिमांड चोरी किए जाते हैं। बच्चा चोरी करके एक बच्चे की कीमत लगभग एक से डेढ़ लाख रुपये रखी जाती है। बच्चों की चोरी की लोकेशन से बच्चे को कम से कम 500 से 600 किलोमीटर दूर बेचा जाता है। बच्चा को चोरी करते वक्त उसे नशीला पदार्थ सुंघा दिया जाता है जिससे वह रिएक्ट तो बिल्कुल ठीक करता है लेकिन रोना हंसना और अनजान व्यक्ति को देखकर परेशान होना भूल जाता है। बच्चों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने में चार अज्ञात व्यक्तियों का हाथ होता है। जानकर मुझे हैरानी हुई कि दिल्ली जैसे कैपिटल शहर में आज भी इन गिरोह का एरिया डिसाइड हुआ है। दिल्ली एनसीआर में भीख मांगने वाले ₹200/₹400 में बच्चों को किराए पर भी देते हैं। इस गिरोह में भी काम को मेल और फीमेल की तरह बांट रखा है अगर लड़का हुआ तो दो-तीन साल से लेकर 12,13 साल तक उसको रेड लाइटों पर भीख मंगवाई जाएगी उसके बाद उसको नशे की लत देकर नशा सप्लाई के काम में लिया जाएगा और जैसे ही 30-35 साल की उम्र हो जाएगा मानव अंग तस्करी करने वाले गिरोह को उनके अंग बेच दिया जाएगा और दूसरी तरफ वही किसी की प्यारी सी गुड़िया हुई तो उसको भी 2 साल से 12,13 साल तक रेड लाइट पर भीख मांगने का काम दिया जाएगा जब लड़की 13 साल से ऊपर की होगी तो उसे प्रॉस्टिट्यूशन या यूं कहें गंदे धंधे में डाल दिया जाएगा। जब लड़की की उम्र 30, 35 साल की हो जाती है तो उसे लड़की को भी मानव अंग तस्करी करने वाले गिरोह को बेच दिया जाता है। जहां उसके अंगों को एक-एक करके बेच दिया जाता है।

यह कहानी इतनी खौफनाक और दर्द मंद है कि सुनकर मुझे तो बिलकुल रोना ही आ गया, हैरानी है कि ऐसे धंधे आज भी हमारे भारत के कैपिटल सिटी दिल्ली और एनसीआर जैसी जगहों पर भी होता है |उनका नेटवर्क इतना सक्रिय है कि अगर किसी रेड लाइट पर किसी बच्चे को आप चाहे उसको घर पर ले जाएं और उसकी अच्छी शिक्षा दें और अच्छा व्यवहार करें तो गैंग के सक्रिय सदस्य तुरंत आ जाएंगे और आपसे बहस करेंगे। उतनी देर में बच्चों को ट्रेनिंग दी गई हुई होती है कि वह वहां से गायब हो जाए, अगर ज्यादा ही आप उलझने की कोशिश करेंगे तो गैंग के सक्रिय सदस्य 10 मिनट के अंदर में उस स्थान पर आ जाते हैं और चाकू बाजी और हाथापाई करके किसी भी तरीका से वह बच्चे को लेकर चले जाएंगे और ऐसे लोगों का ना तो कोई पुलिस रिकॉर्ड होता है नही पुलिस कोई एक्शन ले पाती है |

दुख और अफसोस की बात है कि इस अमानवी खौफनाक काम में सभ्य समाज के डॉक्टर पुलिस सभी लोग लिप्त हैं, भारत विश्व की सबसे प्राचीन और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है लेकिन आज अनेक सामाजिक समस्याओं से जूझ रहा है। भारत विश्व का सबसे युवा देश है, यहां 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है लेकिन दुखद है कि देश आज नशे की समस्या, मानव तस्करी व प्रॉस्टिट्यूशन से जूझ रहा है।
क्योंकि इन चोरी किए गए हुए बच्चों से युवाओं में नशे की लत शराब तंबाकू, गाजा, अफीम नशीली दवाओं की तस्करी व सप्लाई खूब बढ़-चढ़के कराया जाता है।
वहीं दूसरी तरफ लड़कियों से वेश्यावृत्ति या देह व्यापार खूब फल-फूल रहा है और ऐसी गंभीर समस्या की ना तो कभी संसद में सख्त कानून बनाए जाते हैं ना तो हमारे नेता अपने कार्यक्षेत्र में ऐसी समस्याओं से लड़ने के लिए कोई बात कहते हैं। यह एक ऐसा काला सच है जो समाज के मुंह पर तमाचा मारता है। ना तो कोई एजेंसियां भारत में सक्रिय है जो की इन बच्चों को ढूंढने और उनके साथ अमानवी व्यवहार होने पर शख्स दिशा निर्देश का पालन करें।

इसलिए हम सभी को अपने-अपने बच्चों को लेकर काफी सतर्क रहना चाहिए और समाज में व्याप्त ऐसी परेशानी बुराई से लड़ने के लिए खुद ही हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

~ मंजर खान

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